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अपनी बात पर अटल रहते थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

 पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज (शुक्रवार 16 अगस्त 2019) पहली पुण्यतिथि है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर पूरा देश आज उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। एक बार फिर उनके विराट जीवन की चर्चा हो रही है। अटल जी को हिंदी भाषा से काफी लगाव था। इस लगाव का असर उस वक्त भी देखा गया था, जब 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री के तौर पर काम कर रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में देकर सभी के दिल में हिंदी भाषा का गहरा प्रभाव छोड़ दिया था।

संयुक्त राष्ट्र में अटल बिहारी वाजपेयी का हिंदी में दिया भाषण उस वक्त काफी लोकप्रिय हुआ। यह पहला मौका था, जब यूएन जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की गूंज सुनने को मिली थी। निम्न मध्यवर्गीय शिक्षक परिवार में जन्में अटल जी का शुरुआती जीवन बहुत आसान नहीं था। बावजूद, कड़े संघर्ष और जिजीविषा से वह भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष बन गए। वह कुशल रणनीति के लिए जाने गए। उनके ओजस्वी भाषणों की देश-दुनिया में प्रशंसा हुई। उन्होंने भारतीय राजनीति पर ऐसा प्रभाव छोड़ा कि देश की राजनीति के पितामह बना गए।

अटल बिहारी वाजपेयी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। अंग्रेजों की लाठियां खाईं। जेल भी भेजे गए। उस समय उनकी उम्र कम थी, लेकिन देशभक्ति और साहस से भरे थे।

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