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लखनऊ की सुषमा को महज 19 साल की उम्र में मिली नैशनल फैलोशिप

राजधानी लखनऊ में महज 10 साल की उम्र में स्‍कूली पढ़ाई पूरी करने और 15 साल की उम्र में पोस्‍ट ग्रैजुएट करके लिम्‍का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने वाली सुषमा वर्मा ने एक और उपलब्धि हासिल की है। सुषमा समेत 5 स्‍टूडेंट्स को यूजीसी की नैशनल फेलोशिप फॉर अदर बैकवर्ड क्‍लासेज के लिए चुना गया है।

सुषमा वर्मा उम्र  19 वर्ष  इस समय बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिट से रिसर्च कर रही हैं। इस समय उनके रिसर्च का चौथा साल चल रहा है। इस फैलोशिप का मकसद एमफिल और पीएचडी करने वाले ओबीसी स्‍टूडेंट्स को वित्‍तीय सहायता मुहैया कराना है।

बीबीएयू के पांच स्‍टूडेंट्स को फैलोशिप
इसके तहत जूनियर रिसर्च फैलो को हर महीने 25 हजार रुपये और सीनियर रिसर्चर को 28 हजार रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। सुषमा का कहना था, ‘इससे बड़ी मदद मिलेगी। मुझे खुशी है कि मुझे चुन लिया गया।’ सुषमा के अलावा यूजीसी ने बीबीयू से मोनिका पटेल, सुनीता ठाकुर, सना असलम और ऋचा वर्मा को फैलोशिप के लिए चुना है।

सुषमा के पिता तेज बहादुर भी बीबीएयू में ही असिस्‍टेंट सुपरवाइजर  हैं। सुषमा तब केवल पांच साल की थीं जब उन्‍होंने 9वीं में दाखिला लिया था। 10 साल की उम्र में सुषमा ने 12वीं का बोर्ड पास करके लिम्‍का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवा लिया था।

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