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‘वेंकैया नायडू’ का कहना है की महिलाओ के खिलाफ अत्याचार चिंताजनक और शर्मनाक.

नायडू का कहना है कि सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति और प्रशासनिक कौशल की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जो हो रहा है वो शर्मनाक है। वक्त की जरूरत मूल्य आधारित शिक्षा देने की है और जरूरत धैर्य, ईमानदारी, सम्मान, सहिष्णुता और सहानुभूति जैसे मूल्यों को मन में बैठाए जाने की है।

नायडू ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्राथमिक स्तर पर शिक्षा मुख्य रूप से मातृभाषा में दी जानी चाहिए क्योंकि छात्रों के लिए मातृभाषा में समझाना आसान होता है। अंग्रेजी सीखने में कुछ गलत नहीं है। महिलाओं के खिलाफ दिन-प्रतिदिन दुष्कर्म की घटनाएं देखने को मिली रही है। हाल ही में हैदराबाद में एक महिला के साथ दुष्कर्म कर जिंदा जलाने की घटना सामने आई थी।

हमें मामले को प्रभावी तरीके से निपटना होगा, कानून लाना काफी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैं अक्सर कहता हूं कि हमारे देश में, हमारी व्यवस्था में एक कमजोरी है कि जब भी कुछ होता है तो लोग कहते हैं विधेयक लाओ।’

वेंकैया नायडू’ का कहना है कि लड़कियां जब बाहर जाती हैं तो आमतौर पर उन्हें सतर्क रहने और सूरज ढलने से पहले वापस आने के लिए कहा जाता है, लेकिन वक्त आ गया है कि हम अपने लड़कों को चेताएं।

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