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परदेश में टेलीफोन से मिली थी मौत की खबर,पिता की मौत के लगभग 40 दिन बाद तेलंगाना से लखनऊ लौटा बेटा। …

 लखनऊ : परदेश में टेलीफोन से पिता की मौत की खबर तो मिली, लेकिन पिता के आखिरी दीदार पाने के लिए बदनसीब बेटे ने काफी जद्दोजहद की। तमाम प्रयासों के बावजूद भी बदनसीब बेटा पिता की लाश को कंधा नहीं दे सका और जब 40 दिन बाद बेटा अपने घर लौटा तो पिता की कब्र पर जाकर फातिहा भी नहीं पढ़ सका।

राजधानी लखनऊ मलिहाबाद कस्बे के चौधराना निवासी 55 वर्षीय साबिर खां की 11 अप्रैल को बीमारी के कारण मौत हो गई थी। करीब 18 साल पहले पत्नी की मौत के बाद साबिर अपने बेटे जाबिर, वाकिल और वसीम के साथ रहते थे। शादी के कुछ समय बाद बड़ा बेटा जाबिर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ घर से करीब आधा किलोमीटर दूर दूसरे मकान में रहने लगा। मंझला बेटा वाकिल मुम्बई गया तो वहीं का होकर रह गया। फिर साबिर अपने सबसे छोटे बेटे वसीम के साथ रहते थे। करीब दो साल से वसीम तेलंगाना में रहकर जरदोजी का काम करता था।

11 अप्रैल को जब वसीम को अपने पिता की मौत की खबर मिली तो तब उसने वापस आने के काफी जद्दोजहद की, लेकिन लॉकडाउन के कारण वह वापस नहीं लौट सका। केंद्र सरकार द्वारा ट्रेन चलाये जाने पर 20 मई को वह मलिहाबाद पहुंचा। इसके बाद उसने अपने पिता की कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ना चाही मगर परिजनों और पड़ोसियों के समझाने पर वह 21 मई को सीएचसी मलिहाबाद पहुंचा। इस दौरान मेडिकल जांच के बाद वह क्वारंटीन हो गया। अब वसीम अपने फूफेरे भाई शमीम के घर पर सैय्यदवाड़ा मोहल्ले मे क्वारंटीन है।

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