उत्तराखंड में साहूकारों (मनी लेंडर्स) के लिए नियम तय कर दिए गए हैं। अब ऋण लेने वालों से धोखाधड़ी हुई तो साहूकारों पर शिकंजा कसेगा। साथ ही वे बैंकिंग के रूप में भी काम नहीं कर सकेंगे। यानी साहूकारों के पास पैसा जमा नहीं किया जा सकेगा। आरबीआइ के निर्देश पर इस प्रतिबंध को प्रावधान का हिस्सा बनाया गया है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड साहूकार विनियम नियमावली-2018 पर मुहर लगा दी। सचिवालय में चालू माह के दूसरे बुधवार को आयोजित त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल की बैठक में धन के लेन-देन का व्यवसाय करने वाले साहूकारों के लिए नियमावली को मंजूरी दी। राज्य सरकार वर्ष 2016 में उत्तरप्रदेश मनी लेंडिंग एक्ट के स्थान पर अपना एक्ट लागू कर चुकी है।
इस एक्ट के मुताबिक नियमों को अब बनाया गया है। मंत्रिमंडल ने इन नियमों को मंजूरी दी है। मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ करते हुए सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि प्रदेश में साहूकारी व्यवसाय में लगे लोगों के लिए नियम लागू करने का निर्णय लिया गया है।
साहूकारों के लिए क्षेत्र नोटिफाई होगा। इसके लिए अभी जिला स्तर पर अपर जिलाधिकारी-प्रशासन रजिस्ट्रार के तौर पर काम करते हैं। साहूकारों के पंजीकरण के नियम, लाइसेंस आवेदन शुल्क और नवीनीकरण शुल्क तय किया गया है। वर्ष 1976 से लागू साहूकारी व्यवसाय के लिए 15 रुपये आवेदन शुल्क को बढ़ाकर अब 1000 रुपये किया गया है। नवीनीकरण समय पर नहीं कराने पर विलंब शुल्क भी निर्धारित किया गया है। साहूकारों के लिए ऋण पर धन देने के लिए ब्याज दरें भी तय की गई हैं। नियमावली के मुताबिक सिक्योर्ड ऋण पर 14 फीसद तो अनसिक्योर्ड ऋण पर 17 फीसद तक ब्याज लेने को अधिकृत किया गया है। साहूकारों को बही खाता भी रखना होगा। हर तिमाही में उन्हें अपर जिलाधिकारी को रिपोर्ट देनी होगी।
नियमावली में साहूकारों के लिए बैंकिंग या धनराशि को किसी भी सूरत में जमा कर उस पर ब्याज देने की व्यवस्था को प्रतिबंधित किया गया है। आरबीआइ के निर्देश पर सरकार ने यह कदम उठाया है। मंत्रिमंडल ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के गृह क्षेत्र पौड़ी जिले के यमकेश्वर में स्थापित अशासकीय महायोगी गुरु गोरखनाथ महाविद्यालय को राजकीय महाविद्यालय का दर्जा देने का निर्णय लिया। उक्त महाविद्यालय की भूमि व संपत्ति अब सरकार में निहित होगी।