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डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड का 30% कोरोना की जरूरत पर होगा खर्च : भोपाल

कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई को मजबूत करने के लिए शिवराज सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्री अपनी सैलरी का 30 फ़ीसदी हिस्सा कोरोना से निपटने के लिए दान करेंगे.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने सभी मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की.इस बैठक में यह तय किया गया कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों की सैलरी का यह हिस्सा सीएम रिलीफ फंड में दान किया जाएगा.

मंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि उन्होंने खुद अपनी सैलरी के 30 फ़ीसदी हिस्से ₹40500 प्रति महीने के हिसाब से 3 महीने की सैलरी मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दी है.

मुख्यमंत्री ने सांसद – विधायकों से भी 30 परसेंट सैलरी देने की अपील की. इसके साथ ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान ये भी फैसला किया गया कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड का 30% कोरोना की जरूरत पर खर्च होगा.

ये राशि बेड, पीपीई किट, वेंटिलेटर, अस्पताल में खर्च की जाएगी. इसकी मॉनिटरिंग जिले के प्रभारी मंत्री करेंगे. सभी मंत्रियों को जल्द ही जिलों का बंटवारा कर दिया जाएगा. प्रदेश के अभी 22 जिलों में डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड है.

सीएम शिवराज ने मंत्रियों से कहा है कि 1 से 14 अगस्त तक किल कोरोना अभियान पार्ट 2 चलाया जाएगा. 1 से 14 अगस्त तक कोई भी मंत्री, विधायक, सांसद सार्वजनिक और राजनैतिक कार्यक्रम नहीं करेंगे.

सीएम शिवराज ने सभी को मास्क लगाने और नियमों का पालन करने की हिदायत दी है. उन्होंने कहा अनुशासन का पालन करवाने में हमें नेतृत्व करने की आवश्यकता है. पहले नियमों का पालन हम स्वयं करें फिर जनता से आग्रह करें.

सीएम ने मंत्रियों के चुनाव प्रचार में व्यस्त रहने के बारे में कहा कि चुनाव से ज्यादा जरूरी जनता का जीवन है. चुनाव में हम कसर नहीं छोड़ेंगे. लेकिन लोगों के जीवन को खतरे में भी नहीं डालेंगे.

आज कोरोना में मध्यप्रदेश की रिकवरी दर 70% और मृत्यु दर 2.7% है. शीर्ष 16 राज्यों में हमारा मध्यप्रदेश 15वें नंबर पर है.कोरोना संक्रमण बढ़ने की चिंता हम सभी को है.

इसलिए मैं निरन्तर स्थिति की समीक्षा कर रहा हूं. अनुशासन के साथ गाइड लाइन का पालन करके ही हम कोरोना के खिलाफ कामयाब हो सकते हैं.सीएम ने कहा कि लॉकडाउन स्थाई समाधान नहीं है, इससे हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है.

लॉकडाउन खत्म होने के बाद नियमों का पालन करना अत्यावश्यक है. अन्यथा स्थिति वापस वैसी ही हो जाएगी. एक तरफ हमें कोरोना को नियंत्रित करना है तो दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को संभालना भी हमारी प्राथमिकता है. बिना लॉकडाउन के कोरोना को नियंत्रित करने के लिए अनुशासन का पालन और जन-जागरुकता आवश्यक है.

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