यहां कि मान्यता है कि कोई निसंतान इस झरने के नीचे स्नान करे तो संतान प्राप्ति होती है
रियासी के सियाड़ बाबा धार्मिक स्थल पर झरने के नीचे नहाने के दिन अब इतिहास बन जाएंगे। बीते रविवार को यहां हुए हादसे के बाद भविष्य में लोगों की अमूल्य जानें खतरे में न पड़ें, इसके लिए लोगों को झरने से दूर रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा शीघ्र ही वहां बाउंड्री वॉल बनवाई जाएगी, जोकि श्रद्धालुओं और इस स्थान की मान्यता के बीच एक लक्ष्मण रेखा साबित होगी।
भले ही अज्ञानता के कारण कुछ लोगों के लिए यह पर्यटन स्थल हो, लेकिन असल में यह एक धार्मिक स्थल है, जिसका संबंध वर्षो पहले यहां तपस्या में लीन रहने वाले सियाड़ बाबा और यहां पर ही निवास करने वाले नाग देवता से माना जाता है। दंतकथा के मुताबिक कुछ विद्वान नाग देवता को बंगाल ले गए थे, लेकिन अभी भी इस स्थान पर कई बार नाग के दर्शन हो जाते हैं।
किंवदंती के मुताबिक इस स्थान की विशेष मान्यता यह है कि अगर कोई निसंतान हो तो वह यहां ऊंची पहाड़ी से नीचे गिरने वाले झरने के नीचे स्नान करे। स्नान के बाद वह कपड़ों को इसी स्थान पर छोड़ कर लौट जाए। ऐसा करने पर निसंतान लोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। यहां आने वाले कई लोग झरने के नीचे बने पानी के कुछ गहरे स्थान में डुबकियां लगाते हैं, लेकिन जो मुराद मांगने आते हैं वह झरने के नीचे ही स्नान करते हैं। बीते रविवार को पहाड़ पर से हुए भूस्खलन की चपेट में आकर झरने के नीचे मौजूद लोगों में से सात लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 33 लोग घायल हो गए थे।
भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने लोगों को झरने और समीप के पहाड़ से दूर रखने के लिए वहां बाउंड्री वॉल बनाने का निर्णय लिया है।सियाड़ बाबा धार्मिक स्थल पर पिछले लगभग 50 वर्ष से मौजूद 92 वर्षीय महात्मा गिरवर दास त्यागी ने बताया कि निसंतान लोगों को अगर संतान सुख प्राप्ति की मुराद करनी हो तो झरने के ठीक नीचे स्नान करने की ही मान्यता है।
रियासी के डीसी प्रसन्ना रामास्वामी ने कहा कि इस स्थान पर पहले भी पहाड़ से भूस्खलन और पत्थर, मलबा नीचे गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन रविवार को भूस्खलन की बड़ी घटना में सात लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए। भविष्य में ऐसा या फिर उससे भी बड़ा भूस्खलन होने से इंकार नहीं किया जा सकता। वैसे जायजा लेने के लिए विशेषज्ञ यहां आएंगे, लेकिन फिलहाल उनका इंतजार न कर पूरे सावन माह में इस स्थान पर लोगों के आने पर रोक लगा दी गई है, ताकि ऐसी घटना फिर न हो।
इसके लिए भविष्य में लोगों को झरने से स्थायी तौर पर दूर रखने के लिए बाउंड्री वॉल बनवाई जाएगी। झरने से कुछ दूर सुरक्षित स्थान पर नहाने का स्थान बनवाया जाएगा, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित स्थान से ही माथा टेक कर स्नान भी कर सकें।
झरने के नीचे स्नान की मान्यता के बारे में उन्होंने कहा कि वह यहां की मान्यता और श्रद्धालुओं की आस्था का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन लोगों की अमूल्य जान को खतरे से दूर रखने को ही प्राथमिकता दी जाएगी।