असम नागरिकता विवाद पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बीच पहले से ही ‘तू-तू,मैं-मैं’ जारी है। अब शाह ने ममता बनर्जी को चुनौती दी है कि वो रैली के लिए कोलकाता जरूर जाएंगे, अगर दम है तो ममता बनर्जी उन्हें गिरफ्तार करके दिखाएं।
बता दें कि अमित शाह 11 अगस्त को पश्चिम बंगाल के दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरान वो पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। उन्होंने कहा ‘यह मायने नहीं रखता है कि मुझे अनुमति मिलती है या नहीं, मैं कोलकाता जरूर जाऊंगा। अगर राज्य सरकार चाहे तो उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।’
हालांकि ममता बनर्जी ने भाजपा अध्यक्ष की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन कोलकाता पुलिस ने तुरंत एक बयान जारी करते हुए घोषणा की कि उन्होंने रैली के लिए अमित शाह को पहले से ही अनुमति दे दी है। दरअसल, सोशल मीडिया में अनचाहे अटकलों को देखते हुए कोलकाता पुलिस ने फिर से स्पष्टीकरण जारी किया है।
गौरतलब है कि अमित शाह का ये बयान असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर भाजपा पर ममता बनर्जी के कथित हमले के एक दिन बाद आया है, जिसमें 40 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं। मंगलवार को ममता बनर्जी ने चेतावनी दी थी कि सरकार के इस कदम से गृह युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं। उन्होंने कहा था कि भाजपा लोगों को तोड़ने का प्रयास कर रही है। यह बर्दाश्त करने लायक नहीं है।
इस पर अमित शाह ने ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा था कि अलग-अलग प्रकार की भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं। प्रांत-प्रांत के बीच झगड़े जैसा एक माहौल खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। ममता बनर्जी बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों को ‘वोट बैंक’ की तरह देखती हैं। मैं इसकी घोर निंदा करता हूं।
वहीं केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को ब्लॉग लिखकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी पर एनआरसी मुद्दे पर देश की संप्रभुता से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नागरिकता देश की आत्मा है और इसे वोट बैंक के लिए आयात नहीं करें।
फेसबुक पर लिखे ब्लॉग राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर : संप्रभुता बनाम वोट बैंक में उन्होंने राहुल पर अपने पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी के विपरीत रुख अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा कि किसी भी सरकार की पहली प्राथमिकता देश की सीमाओं की सुरक्षा करना, किसी भी अतिक्रमण को रोकना और देश के नागरिकों की रक्षा-सुरक्षा करना है।
जेटली ने ब्लॉग में लिखा, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 4 अगस्त 2005 को लोकसभा में कहा था- बंगाल में घुसपैठ अब आपदा हो गई है…मेरे पास बांग्लादेशी और भारतीय मतदाता सूची दोनों हैं। यह एक बहुत ही गंभीर मामला है। मैं जानना चाहती हूं कि सदन में इस पर कब चर्चा की जाएगी।”
उन्होंने लिखा कि कांग्रेस अब देश की संप्रभुता से समझौता कर रही है। राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे नेताओं को पता होना चाहिए कि देश की संप्रभुता खेलने की वस्तु नहीं है। उन्होंने ममता पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर अपना रुख बदलने का भी आरोप लगाया। उन्होंने ममता को 2005 के उनके इस मुद्दे पर रुख की भी याद दिलाई। उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की किताब मिथ ऑफ इंडिपेंडेंस का भी जिक्र किया।
तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन ने जेटली की आलोचना करते हुए कहा कि संप्रभुता बेशक भारत की आत्मा है, धर्मनिरपेक्षता देश का आंतरिक विवेक है, लेकिन एक के बिना दूसरा अर्थहीन है। नागरिकता मूलभूत अधिकार है कोई उपहार या खिलौना नहीं। कृपया इस प्रकार विभाजनकारी खेल मत खेलिए और कृपया आप अपनी सेहत का ध्यान रखें। आपके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
वहीं, माकपा ने भी एनआरसी के मुद्दे पर कहा है कि असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी से जुड़ी सभी शिकायतों की गहनता से जांच होनी चाहिए और किसी भी भारतीय को सूची से बाहर नहीं छोड़ा जाना चाहिए।