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भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते पर आधारित आइये जानते है इसके बारे मी कुछ खास बात

रक्षाबंधन पर्व के समान भाई दूज पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है| भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला एक ऐसा उत्सव है, जो भाई के प्रति बहन के प्रेम और स्नेह को दर्शाता  है इस दिन बहनें अपने भाईयों की खुशहाली के लिए कामना करती हैं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमदेव को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था जिससे उस दिन नारकी जीवों से छुटकारा मिला और वे हर पाप से मुक्त होकर वे सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए उन सब ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था

Bhai Dooj 2020: इस दिन मनाया जाएगा भाई दूज का पर्व, जानें क्या है इसका  महत्व और शुभ मुहूर्त

इसी वजह से यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुआ जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था यदि उस तिथि को भाई अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन ग्रहण करता है तो उसे उत्तम भोजन के साथ धन की प्राप्ति होती है पद्म पुराण में कहा गया है

fatehgarh sahib, Bhai Dooj celebrated

कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है यह कथा सूर्यदेव और छाया के पुत्र पुत्री यमराज तथा यमुना से संबंधित है यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती कि वे उनके घर आकर भोजन ग्रहण करें परंतु यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल देते थे

आज भाई दूज बहन और भाई के ,अटूट प्रेम का पर्व - Janswami Darpan

कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर भाई यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो जाती हैं और प्रसन्नचित्त होकर भाई का स्वागत सत्कार कर भोजन करवाती हैं बहन यमुना के प्रेम, समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव ने वर मांगने को कहा, तब बहन यमुना ने भाई यमराज से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएं

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तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका कर भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे यमराज ‘तथास्तु’ कहकर यमलोक चले गए तब से मान्यता है कि जो भाई आज के दिन पूरी श्रद्धा से बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय नहीं रहता है और साथ ही तभी से बहन-भाई का यह त्योहार मनाया जाने लगा इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य है भाई-बहन के मध्य सद्भावना, तथा एक-दूसरे के प्रति प्रेम से है

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