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मुख्यमंत्री ने ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के विद्यार्थियों के साथ संवाद किया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि आज का युग तकनीक का युग है। हम सब तकनीकी युग में रह रहे है। इसका महत्व इससे समझा जा सकता है कि आज लाखों पुस्तकों का भण्डार हम सभी अपने स्मार्ट फोन में रख सकते हैं और एक क्लिक पर उसको प्राप्त भी कर सकते हैं।

तकनीक के इस महत्व को देखकर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 06 वर्ष पूर्व डिजिटल भारत बनाने का लक्ष्य रखा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में तकनीक से बहुत लाभ मिला। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन तथा तकनीक की मदद से प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली।

मुख्यमंत्री जी आज जनपद गोरखपुर के एनेक्सी भवन सभागार में ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के विद्यार्थियों के साथ संवाद एवं मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की डिजिटल लाइब्रेरी ‘ज्ञानसिन्धु’ के शुभारम्भ अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले गांव में कोई भी सहायता अथवा सरकारी योजना का लाभ पहुंचाने में काफी समय लगता था

लेकिन आज के तकनीकी युग मंे लाभार्थियों को सीधे मदद उपलब्ध करायी जा रही है। कोरोना काल खण्ड में 12 से 13 लाख लोगों को प्रतिदिन कम्युनिटी किचन के माध्यम से भोजन पैकेट वितरित किये गये।

कम्युनिटी किचन में सी0सी0टी0वी0 कैमरे लगाकर इस कार्य की सीधे निगरानी की जाती थी। प्रदेश में 87 लाख लाभार्थिंयों को विभिन्न योजनाओं के तहत पेंशन व सहित ई-पॉस मशीनों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण सहित अन्य योजनाओं का लाभ तकनीक के माध्यम से आमजन को दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के अन्तर्गत प्रदेश में सर्वाधिक पंजीकरण जनपद गोरखपुर में हुआ है। यह कोचिंग पूर्ण रूप से निःशुल्क है। ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के माध्यम से प्रदेश सरकार द्वारा एक अभिनव प्रयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि जीवन में व्यावहारिक अनुभव, सिद्धान्त एवं ज्ञान का बड़ा महत्व है।

व्यावहारिक ज्ञान जीवन में सफलता प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि इस योजना में संचालित कोचिंग में प्रदेश/जनपद में विभिन्न पदांे पर कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी अपने अनुभव से विद्यार्थियांे को लाभान्वित करने का कार्य कर रहे हैं। यह अधिकारीगण वर्चुअल एवं फिजिकल रूप से क्लास लेकर विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में मदद कर रहे हैं।

यह एक नया अनुभव है।मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मंे कुछ अलग गुण होता है। अधिकारी एक योजक की भूमिका में विद्यार्थियों का मार्ग दर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीमित संख्या होने के कारण कम प्रतियोगी छात्रों को चयन किया गया है शेष विद्यार्थी वर्चुअल रूप से जुड़कर इसका लाभ ले सकते हैं।

प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021-22 के बजट में ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के अन्तर्गत प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को पात्रता के आधार पर टैबलेट उपलब्ध कराने का प्राविधान किया है, जिससे वर्चुअल रूप से जुड़कर विद्यार्थी, मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना का लाभ ले सकें। उन्होंने कहा कि सभी को एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहिये, असफलता पर धैर्य न खोयें, सफलता मिलेगी। छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखें, उन्हें नजर अन्दाज न करें।

इस अवसर पर मण्डलायुक्त श्री जयन्त नार्लिकर ने अवगत कराया कि ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के अन्तर्गत अभी तक 24 कक्षाएं आयोजित की गयीं। 73 हजार विद्यार्थी ऑनलाइन जुड़कर योजना का लाभ प्राप्त कर चुके हैं। आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय की व्यवस्था भी की गयी है। पुस्तकालय में पुस्तकें एवं अन्य आवश्यक समाचार पत्र/पत्रिकाएं उपलब्ध हैं।

इस अवसर पर छात्रा सुश्री अपर्णा मिश्रा ने मुख्यमंत्री जी से पूछा कि आप एक योगी, संत हैं और आपके सबल कंधों पर देश के सबसे बड़े राज्य की भी जिम्मेदारी है, दोनों में समन्वय कैसे बनाते हैं। मुख्यमत्री जी ने उत्तर देते हुए कहा कि एक योगी का लक्ष्य लोक कल्याण होता है और मुख्यमंत्री के रूप में मेरा दायित्व लोक कल्याण के पथ पर चलते रहने का है।

लोक कल्याण ही मेरा लक्ष्य है। मेरा धर्म राष्ट्रधर्म है। धर्म का अर्थ वह नहीं जो हम सामान्य भाषा में समझते हैं। पूजा पद्धति और उपासना विधि मेरी व्यक्तिगत आध्यात्मिक साधना का विषय है। मैं इसे किसी और पर नहीं थोप सकता और न ही कोई अन्य मुझ पर थोप सकता है, लेकिन राष्ट्रधर्म हर एक व्यक्ति के लिए है।

मेरे लक्ष्य और धर्म को लेकर कोई दुविधा नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ के विद्यार्थी भी सफलता प्राप्त करने के लिए दुविधा मुक्त लक्ष्य निर्धारित करें।

गाजीपुर की सुश्री शोभा सिंह के प्रश्न के क्रम में मुख्यमंत्री जी ने कहा कि असफलता से कभी घबराना नहीं चाहिए। लक्ष्य निर्धारित कर सफलता प्राप्ति तक प्रयास करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है- ‘न दैन्यं न पलायनम्।’ अर्थात हमें न तो दीनता दिखानी चाहिए और न ही पलायन करना चाहिए। निरंतर प्रयास करना चाहिए और इसी अहर्निश प्रयास का नाम ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ है।

सुश्री दीक्षा पाण्डेय ने मुख्यमंत्री जी से पूछा कि भारत को सशक्त राष्ट्र बनाने के लिए हमें क्या करना चाहिए। इसके उत्तर में मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण सिर्फ राष्ट्राध्यक्ष का ही कार्य नहीं है, राष्ट्र के हर नागरिक को अपने कर्तव्य के माध्यम से इसमें योगदान देना होता है। आप किसी भी क्षेत्र में काम कर रहे हों, अपने कर्तव्यों के पालन से आप यह जिम्मेदारी उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का नेतृत्व राष्ट्र को नई दिशा दे सकता है।

हम सभी ने देखा है कि पिछले छह वर्षों में देश की तस्वीर बदली है। देश को यशस्वी नेतृत्व मिलता है तो विकास योजनाओं का भी मार्ग प्रशस्त होता है, लोक कल्याण के साथ वैश्विक मंच पर देश की पहचान स्थापित होती है। आज जब हम प्रवासी नागरिकों से मिलते हैं तो उन्हें देश की वर्तमान व्यवस्था पर गौरव की अनुभूति होती है।

दुनिया में कहीं भी जाकर यह बताने पर कि भारत से आए हैं, तो सम्मान मिलता है। लोग सम्मान के साथ कहते हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के देश से आए हैं। ऐसे में देश की जनता का भी दायित्व बनता है कि वह मनोयोग से अपना कार्य कर राष्ट्र को सशक्त बनाने में योगदान दे। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिकारीगण एवं छात्र/छात्राएं उपस्थित थे।

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