उत्तराखंडप्रदेश

32 साल पहले पीएम मोदी को देवभूमि के इस स्थान से मिली थी योग की प्रेरणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए देवभूमि उत्तराखंड को चुना तो इसके पीछे उनका इस क्षेत्र से दशकों पुराना नाता है। योग और अध्यात्म की इस सरजमीं पर हिमालय की कंदराओं में ही एक दौर में नमो ने साधना की थी। यह स्थल है 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथधाम के नजदीक गरुड़चट्टी, जहां नमो रहा करते थे। तब वह रोजाना दो किमी नंगे पांव पैदल चलकर बाबा केदार के दर्शनों को जाते थे। 

गत वर्ष केदारनाथधाम के कपाट बंद होने के मौके पर प्रधानमंत्री ने तब पुराने दिनों की याद करते हुए कहा था, ‘एक दौर था जब मैं यहीं रम गया था। शायद बाबा केदार की यह इच्छा नहीं थी।’ 

केदारनाथधाम से दो किमी के फासले पर है गरुड़चट्टी। इसी स्थल में है एक गुफा, जहां रहकर नरेंद्र मोदी ने करीब डेढ़ माह तक साधना की थी। केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित और बदरी-केदार मंदिर समिति के सदस्य 71 वर्षीय श्रीनिवास पोस्ती बताते हैं कि वर्ष तो ठीक से याद नहीं, लेकिन यह 1985 या 1986 की बात होगी। 

मृदुभाषी नरेंद्र मोदी रोजाना अन्य संतों के साथ गरुड़चट्टी से नंगे पांव पैदल चलकर केदारनाथ में बाबा के दर्शनों को जाते थे। पोस्ती के अनुसार केदारनाथधाम में मंदिर को जाने वाले रास्ते में उनका मकान था। सभी संत उनके पास रुकते थे, जिनमें नरेंद्र मोदी भी शामिल थे।

 

वह बताते हैं कि मोदी रोजाना बाबा के दर्शनों के उपरांत ही चाय पिया करते थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद भी मोदी केदारनाथ आए। तब का वाकया याद करते हुए पोस्ती बताते हैं कि ‘मोदी कुछ अन्य लोगों के साथ आए थे। चूंकि, उनका मोदी से पुराना परिचय था तो उन्होंने मंदिर में पूजा कराने को कहा। इस पर मैंने एक अन्य पुजारी को पूजा के लिए भेज दिया। मुझे क्या मालूम था कि मोदी एक दिन देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।’

पिछले साल केदारनाथ के कपाट बंद होने के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे तो पोस्ती ने उनसे मुलाकात की। पोस्ती बताते हैं कि उन्होंने तब पुरानी यादों को मोदी से साझा किया। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पुरानी स्मृतियां मस्तिष्क पटल पर ताजा हो गई हैं। बाद में उन्होंने अपने संबोधन में भी इसका जिक्र किया और कहा, ‘पुराने मित्रों ने पुरानी यादें ताजा कर दीं। 

तब वह खुद को बाबा केदार को समर्पित करना चाहते थे, मगर बाबा को यह गवारा नहीं था। इसीलिए बाबा ने उन्हें देशसेवा का जिम्मा सौंपा।’ पोस्ती इससे गदगद हैं कि प्रधानमंत्री को न सिर्फ पुरानी बातें याद हैं, बल्कि मित्र भी। वह कहते हैं कि नमो ने खुद को बाबा का बेटा बताया है, जो अद्भुत होता है। उन्होंने कहा कि केदारपुरी के नवीनीकरण का वह स्वागत करते हैं, मगर इसमें स्थानीय लोगों की भावना के अनुरूप ही कार्य होने चाहिए।

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