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विवेक तिवारी मामला: गोली लगने के 55 मिनिट बाद तक जिन्दा था विवेक, पुलिस की लापरवाही से हुई मौत

 ऐप्पल के 38 वर्षीय बिक्री अधिकारी विवेक तिवारी की हत्या के मामले में एक नया खुलासा हुआ है, हाल ही में आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक विवेक पुलिस की बुलेट लगने के बाद भी करीब 55 मिनट तक जीवित थे, लेकिन पुलिस इस महत्वपूर्ण अवधि में उन्हें चिकित्सकीय ध्यान देने में नाकाम रही, जिससे उनकी मौत हो गई.

प्रत्यक्षदर्शी सना खान के मुताबिक, गोली लगने के बाद भी विवेक ने लगभग 300 मीटर तक एसयूवी कार चलाई, इसके बाद वे गाड़ी लेकर शहीद पथ के नीचे अंडरपास के खंभे में टकरा गए. सना ने बताया कि इस बीच गोली मरने वाले कांस्टेबल चौधरी और उनके साथी संदीप चौहान तब तक वहां से भाग चुके थे. सना ने बताया कि इसके कुछ देर बाद एक दूसरा पुलिस वाहन वहां आया, जो एम्बुलेंस को बुलाने की कोशिश करने लगा, लेकिन सना की लाख मिन्नतें करने के बाद वे विवेक को अपनी गाड़ी में बैठकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले गए. सना ने आरोप लगाया कि अस्पताल ले जाने के बाद भी पुलिस विवेक के उपचार पर ध्यान न देते हुए उसका बयान लेने में लगी रही, जिस कारण उसकी मौत हो गई.

पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, तिवारी को गोली लगने के करीब 35 मिनिट बाद  2:05 बजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां अपने जख्मों से लड़ते हुए विवेक ने 2.25 मिनिट पर प्राण त्याग दिए. स्थानीय लोगों के मुताबिक, घटना स्थल से राम मनोहर अस्पताल पहुंचने में मात्र 10 मिनिट का समय लगता है. वहीँ चिकित्सा अधिकारीयों का कहना है कि इस तरह की गंभीर दुर्घटनाओं के समय हमेशा पहला घंटा बेहद मूल्यवान होता है, जो पीड़ित के जीवन और मृत्यु में अंतर कर सकता है, चिकित्सकों का कहना है कि अगर विवेक को सही समय पर इलाज मिल जाता तो उसका जीवन बच सकता था .

 

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