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टूरिज्म सेक्टर के लिए अच्छी खबर हिमाचल घूमने के लिए कोरोना रिपोर्ट की नहीं जरूरत

हिमाचल प्रदेश मे कोरोना संकट के बीच टूरिज्म सेक्टर के लिए अच्छी खबर है. कैबिनेट मीटिंग में अब हिमाचल में आने के लिए कोरोना निगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता खत्म कर दी है.

शुक्रवार को हिमाचल कैबिनेट की मीटिंग में सूबे में दाखिल होने के लिए कोरोना की RT-PCR रिपोर्ट की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला हुआ है. हालांकि, प्रदेश में प्रवेश के लिए कोविड ई-पास पोर्टल पर पंजीकरण करवाना अब भी जरूरी है. पास संबंधित क्षेत्र के एसडीएम से मंजूर होना चाहिए.

इस फैसले से सबसे ज्यादा राहत सूबे के होटल संचालकों को मिली है. क्यों मैदानी इलाकों में काफी ज्यादा गर्मी पड़ रही है, जबकि हिमाचल में पहाड़ी इलाकों में मौसम खुशगवार है और बारिश हो रही है.

अब प्रदेश में 14 जून से कोरोना कर्फ्यू शाम पांच बजे से सुबह पांच बजे तक रहेगा और धारा 144 खत्म कर दी गई है. सुबह नौ से शाम पांच बजे तक सभी दुकानें खुलेंगी.

हिमाचल प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू की बंदिशों का असर करने का अब पर्यटन क्षेत्र पर व्यापक असर पड़ा है. शिमला, मनाली, धर्मशाला और डलहौजी में पर्यटन गतिविधियां ठप पड़ी थीं. हालांकि, पिछले एक सप्ताह से सैलानी हिमाचल पहुंच रहे हैं. अब पर्यटकों की संख्या बढ़ने से न सिर्फ व्यवसायिक संस्थानों में रौनक बढ़ जाएगी.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 दिन में हिमाचल प्रदेश में 65 हजार से ज्यादा लोगों ने प्रवेश किया है. 29 हजार 548 पास कोविड ई-पास जारी किए गए और कुल 65 हजार 384 लोग हिमाचल आए हैं.

सोलन में 14866, कांगड़ा में 12733, ऊना में 9742, कुल्लू में 6471, शिमला में 5307, मंडी में 4628, हमीरपुर में 115, बिलासपुर में 2615, सिरमौर में 2216, चंबा में 2184, लाहौल स्पीति में 337 और किन्नौर में 190 लोग पहुंचे हैं.

सरकार ने वर्किंग कैपिटल पर ऋण लेने वाले होटल कारोबारियों को सरकार ने बड़ी राहत देते हुए इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम को संशोधित कर दिया है. वर्किंग कैपिटल पर ऋण लेने वाले होटल कारोबारियों को अब पहले वर्ष में ब्याज में 75 फीसदी छूट दी जाएगी.

ट्रेवल एजेंट और रोप-वे प्रबंधन को भी इस योजना में शामिल किया गया है. कम ब्याज पर इन लोगों को भी ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा. होटल कारोबारियों को सरकार ने बीते वर्ष 11 फीसदी ब्याज पर चार साल के लिए ऋण देने की योजना चलाई है.

ऋण की अवधि चार वर्षों के लिए रखी गई है. पहले दो वर्षों तक ब्याज में हर वर्ष 50 फीसदी छूट दी जा रही है. पहले दो वर्ष सरकार 50 फीसदी ब्याज चुका रही है. योजना में अब संशोधन कर दिया है और अब ऋण की अवधि पांच साल कर दी है.

पहले वर्ष में 75 फीसदी तक ब्याज में छूट देने का फैसला लिया है. राज्य सहकारी बैंक, कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक, जोगिंद्रा सहकारी बैंक और व्यावसायिक बैंकों के माध्यम से ऋण दिए जाएंगे.

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