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जाने किस कारण से होती है अस्थमा की दिक्कत जाने ?

अस्थमा के मरीजों की हालत अक्सर रात में क्यों बिगड़ जाती है? माना जाता है कि सोते समय अन्य शारीरिक गतिविधियों के कारण रात में यह दिक्कत बढ़ती है. हालांकि, यह पूरा सच नहीं है.

दैनिक जागरण में छपी ख़बर के अनुसार, अमेरिका के ब्रिघम और वूमन हॉस्पिटल और ओरेगॉन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दो सर्कैडियन प्रोटोकॉल का यूज करते हुए

सर्कैडियन सिस्टम यानी बॉडी क्लॉक की भूमिका का पता लगाया है. रिसर्च का रिजल्ट द प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

सर्कैडियन सिस्टम या बॉडी क्लॉक टाइम और डेली रूटीन के हिसाब से शरीर के विभिन्न हिस्सों को लूज (शिथिल) बनाता है. अस्थमा के 17 मरीजों पर किए गए टेस्ट में वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों का सर्कैडियन सिस्टम रात में उनके फेंफड़ों को ज्यादा लूज कर देता है,

उनमें अस्थमा के अटैक का खतरा ज्यादा रहता है. सर्कैडियन सिस्टम में किसी खामी के कारण दिन के किसी अन्य समय पर भी अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है.

अस्थमा से पीड़ित 75 प्रतिशत लोग रात में अस्थमा की गंभीरता का अनुभव करते हैं. एक्सरसाइज, एयर टेंप्रेचर, पोश्चर और नींद के साथ-साथ कई बिहेवियर भी अस्थमा की सीरीयस कंडीशन का कारण बन जाते हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस हालिया रिसर्च के नतीजे अस्थमा के इलाज का नया रास्ता खोलने में सहायक हो सकते हैं.

ओरेगन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ साइंसेज के प्रोफेसर और निदेशक संबंधित सह- लेखक स्टीवन ए शी ने कहा, “हमने देखा कि जिन लोगों को सामान्य रूप से सबसे खराब अस्थमा है,

उनको रात में पल्मोनरी फंक्शन में सबसे बड़ी सर्कैडियन-प्रेरित ड्रॉप्स से परेशानी होती है. उन लोगों की स्लीप साइकिल में भी बड़े बदलाव थे. हमने यह भी पाया कि ये परिणाम मेडिकल रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि जब लैब में स्टडी की गई, तब लक्षण वाले ब्रोन्कोडायलेटर इनहेलर का यूज रात के दौरान दिन की तुलना में चार गुना अधिक था.”

दिमाग का एक खास हिस्सा सर्कैडियन सिस्टम को कंट्रोल करता है. दिन के समय के हिसाब से शरीर की गतिविधियों को निर्धारित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. व्यक्ति की दिनचर्या के हिसाब से किसी निश्चित समय पर भूख या नींद इसी कारण लगती है.

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