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आज जानेंगे शनिदेव व उनकी पत्नी से मिले इस भयंकर श्राप के बारे में। …

हिंदू धर्म में सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित माना जाता है. शनिवार का दिन शनिदेव का दिन माना गया है. इस दिन विधि-विधान से शनिदेव की पूजा करने पर शनिदेव प्रसन्न होने की मान्यता है.

कहते हैं कि शनिदेव अतिक्रोधी देवताओं में से एक हैं. वे अगर किसी पर क्रोधित हो जाएं तो उसे राजा से रंक बना देते हैं और अगर किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो उसे बेहद समृद्ध कर देते हैं.

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनिदेव को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना गया है. शनिदेव की दृष्टि अगर किसी पर पड़ जाते तो वह नष्ट हो जाता है, ये बात तो आपने कथाओं में सुनी होगी लेकिन इसकी क्या वजह है इस पर गौर नहीं किया होगा.

आज हम आपको बताते हैं कि आखिर किस वजह से शनिदेव अपना शीश झुकाकर चलते हैं और किसी पर बेवजह दृष्टि नहीं डालते हैं. दरअसल ये सबकुछ उनकी पत्नी द्वारा दिए गए एक श्राप की वजह से हुआ था.

ब्रह्मपुराण की कथा के अनुसार, शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के अन्नय भक्त थे. वे हर वक्त भगवान की पूजा और सेवा में व्यस्त रहते थे. हमेशा वे श्रीकृष्ण का ध्यान किया करते थे.

युवावस्था में शनिदेव का विवाह चित्ररथ से कर दिया गया. शनिदेव की पत्नी भी तेजस्वी, ज्ञानवान एवं पतिव्रता स्त्री थीं. विवाह के बाद भी शनिदेव हमेशा कृष्ण भक्ति में ही तल्लीन रहते थे. एक रात्रि चित्ररथ ने ऋतुकाल का स्नान किया

और पुत्र प्राप्ति हेतु शनिदेव के पास पहुंची. इस समय भी शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण का ही ध्यान कर रहे थे. उन्होंने अपनी पत्नी की ओर देखा तक नहीं. चित्ररथ ने इसे अपना अपना समझा और शनिदेव को श्राप दे दिया.

उन्होंने श्राप देते हुए कहा कि शनिदेव जिस किसी को भी नजर उठाकर देखेंगे वो नष्ट हो जाएगा. इस बीच शनिदेव का ध्यान टूटा और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ.

इस पर शनिदेव ने अपनी पत्नी को मनाया और उनसे माफी मांगी. किंतु शनिदेव की पत्नी के पास अपने दिए हुए श्राप को निष्फल करने की शक्ति नहीं थी. यही वजह है कि उस श्राप के चलते शनिदेव सिर नीचा कर चलते हैं.

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