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नक्सली समस्या से निपटने और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास के कार्यों को आगे बढ़ाने को लेकर गृह मंत्री ने की बैठक

देश के अलग-अलग राज्यों में नक्सल समस्या से निपटने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पुलिस के आला अधिकारियों के साथ बैठक की.

इस बैठक के दौरान नक्सली समस्या से निपटने और उनका सामना करने के लिए केंद्र और राज्य स्तर के बीच सामंजस्य बनाने और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास के कार्यों को आगे बढ़ाने जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई.

इस बैठक के दौरान कुल 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पुलिस के आला अधिकारियों को आमंत्रित किया गया था लेकिन बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत चार राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए. यह बैठक करीब 3 घंटे तक चली.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के विज्ञान भवन में जो बैठक की उसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और ओडिशाा के सीएम नवीन पटनायक शामिल हुए. वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्रीरी ममता बनर्जी केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन,

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी बैठक में नहीं पहुंचे. हालांकि प्रदेश के आलाा स्तर के पुलिस अधिकारी इस बैठक में मौजूद रहे.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में नक्सल प्रभावित इलाकों की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के साथ ही नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कों, पुलों, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण जैसे मौजूदा विकास कार्यों को लेकर भी चर्चा की गई.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में नक्सली हिंसा की घटनाओं में खासी कमी दर्ज की गई है और अब यह समस्या करीब 45 जिलों तक सीमित हो गई है. हालांकि देश के कुल 90 जिलों को माओवादी प्रभावित माना जाता है

और वे मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी खर्च योजनाओं का हिस्सा रहे हैं. साल 2019 में 61 जिलों से नक्सली हिंसा की रिपोर्ट आयी थी जबकि 2020 में यह संख्या घटकर 45 तक रह गयी है.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 से 2020 के बीच नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में घटी अलग-अलग घटनाओं में करीब 380 सुरक्षाकर्मी, 1,000 आम नागरिक और 900 नक्सली मारे गए हैं. वहीं इस दौरान करीब 4,200 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया.

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