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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अब भी आतंकी हमले का खतरा बरकरार

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जहां हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं, वहीं आतंकी गतिविधियां जोर पकड़ने लगी हैं. बीते दिनों यहां एक मस्जिद में हुए बम धमाके में 45 से ज्यादा लोग मारे गए, वहीं दर्जनों घायल हो गए.

इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली है. इस हमले के बाद अब अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने नागरिकों को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के होटलों से दूर रहने की चेतावनी दी है.

बता दें कि तालिबान अगस्त माह में सत्ता पर काबिज हो गया और अफगानिस्तान को एक इस्लामिक अमीरात घोषित कर दिया. वहीं, तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के साथ अफगानिस्तान गंभीर मानवीय

और आर्थिक संकट से जूझ रहा है. मानवीय आपदा से बचने और अफगानिस्तान के आर्थिक संकट को कम करने के लिए तालिबान अंतरराष्ट्रीय मान्यता और सहायता की मांग कर रहा है.

वहीं, तालिबान आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट से खतरे को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद यह पहला मौका था जब अमेरिका और अफगानिस्तान के नए शासक वर्ग के बीच पहली बैठक कतर की राजधानी दोहा में हुई.

बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट को नियंत्रित करने को मौजूदा अफगान सरकार के लिए अहम मुद्दा बताया. वहीं, अफगानिस्तान से विदेशियों के निकाले जाने को भी बातचीत में शामिल किया गया. तालिबान ने इस पर सहमति जताई.

गौरतलब है कि अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने क्षेत्र में सुरक्षा के खतरों का हवाला देते हुए कहा है कि जो अमेरिकी नागरिक सेरेना होटल में या उसके आसपास हैं, उन्हें तुरंत उस जगह को छोड़ देना चाहिए. वहीं, ब्रिटेन के विदेश विभाग ने अफगानिस्तान में बढ़ते हुए जोखिम को देखते हुए अपने नागरिकों को होटलों से दूर (खासकर काबुल के सेरेना होटल) रहने को कहा.

बता दें कि तालिबान के सत्ता में काबिज होने के बाद से कई विदेशी अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं, हालांकि कुछ सहायतकर्मी और पत्रकार अभी भी राजधानी काबुल में हैं. सेरेना होटल काबुल का सबसे मशहूर लग्‍जरी होटल है. होटल पर दो बार आतंकी हमला हो चुका है. यह होटल विदेशी मेहमानों के बीच खासा लोकप्रिय है.

साल 2014 में अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव होने के कुछ हफ्ते पहले यहां हमला हुआ था. चार बंदूकधारी अपने मोजे में पिस्तौल छिपाकर होटल के अंदर पहुंचने में कामयाब हो गए थे.

इस दौरान फायरिंग में 9 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले में न्‍यूज एजेंसी एएफपी के पत्रकार और उनके परिवार के सदस्‍य भी मारे गए थे. इससे पहले 2008 में एक आत्मघाती बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी.

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