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बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान पर आधारित चार दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न

ललितपुर । ब्लॉक संसाधन केंद्र मड़ावरा पर खंड शिक्षक की नैतिक जिम्मेदारी है, उसे सत्यनिष्ठा के साथ अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा।शिक्षाधिकारी नरेश कुमार रावत के निर्देशन में फाउण्डेशन लिटरेसी एवं न्यूमरेसी एफएलएन पर आधारित चार दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ। सातवें एवं आठवें बैच के प्रशिक्षण में 80 शिक्षक शिक्षामित्रों ने प्रतिभाग किया। जिसमें संदर्भदाता एआरपी शक्तिसिंह, राजेश कुमार शर्मा, सुरेश कुमार, भरतलाल चैरसिया नोडल संकुल उमाशंकर नामदेव ने राष्ट्रीय शिक्षानीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए निपुण भारत मिशन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस मौके पर खंड शिक्षाधिकारी नरेश कुमार रावत ने कहा बदले जमाने और बदली परिस्थितियों में बच्चे पढऩे में रूचि लें आकर्षित हों एवं स्कूल आने के लिए लालायित रहें ऐसी स्थिति उत्पन्न करना शिक्षक की नैतिक जिम्मेदारी है, उसे सत्यनिष्ठा के साथ अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा। भाषा और गणित मजबूत होने पर बच्चे सभी क्षेत्रों में सभी स्तर पर पारंगत होंगे, हमें उनको रटाना नहीं आत्मसात कराना है तो ज्ञान स्थायी होगा। शिक्षक सभी बच्चों का स्तर भलीभांति जानते हैं और उन्हें एक ही विधा से नहीं पढ़ाया जा सकता। सहायक अध्यापक विशाल जैन पवा ने कहा कि एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज के विकास और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए करूणा, सहानुभूति, साहस और लचीलापन, वैज्ञानिक चिंतन, रचनात्मक कल्पनाशक्ति एवं नैतिक मूल्यों का विकास करना मूलभूत आवश्यकता है जिससे तर्क संगत विचार और कार्य करने में सक्षम अच्छे इंसानों का विकास होगा। जिनका संविधान द्वारा परिकल्पित परिवेशी और बहुलतावादी समाज के निर्माण में योगदान रहेगा। चार दिन चले प्रशिक्षण में संदर्भदाताओं ने निपुण भारत मिशन के मूलभूत सिद्धांत एवं प्रमुख उद्देश्य, बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान की समझ विकसित करने के लिए विस्तृत चर्चा की। राष्ट्रीय तथा राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा एनसीएफ-2005 एवं दक्षता आधारित अवधारणात्मक समझ, गणित में सोपान क्रमिकता, संतुलित भाषा शिक्षण एवं भाषा शिक्षण के घटक और डिकोडिंग पर विचार विमर्श किया। प्रतिभागियों ने अपने अनुभव सांझा किये एवं समूह में गणितकिट, शिक्षण अधिगम सामग्री एवं विभिन्न बिंदुओं पर चार्ट निर्माण कर उनके अनुप्रयोगों का मंचन किया। एआरपी शक्तिसिंह ने कहा कि रचनात्मक तार्किक सोच एवं नवाचार के लिए प्रोत्साहित नैतिक, मानवीय एवं संवैधानिक मूल्यों का विकास करने के लिए बच्चों में सहानुभूति, दूसरों के सम्मान, स्वच्छता, शिष्टाचार, सार्वजनिक सम्पत्ति सम्मान, वैज्ञानिक चिंतन, स्वतंत्रता, जिम्मेदारी, बहुलतावाद समानता, न्याय, लोकतांत्रिक एवं सेवा की भावना को जागृत करना होगा। एआरपी राजेश कुमार शर्मा ने कहा प्रशिक्षण में सीखी हुयी बातों को विद्यालय में अधिक से अधिक प्रयोग करने होंगे क्योंकि बच्चा जैसे सीखना चाहता है उसे वैसे सिखाना है। एआरपी सुरेश कुमार ने कहा बच्चों में भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्र प्रेम परम्पराओं से प्रेरित जीवन कौशल विकसित करना है। एआरपी भरतलाल चैरसिया ने कहा सभी स्तरों तक शिक्षा की सार्वभौमिक पहुंच, बच्चों की प्रतिभा और रूचि के अनुसार समग्र शिक्षा का विकास एवं ड्राप आउट बच्चों की संख्या शून्य करना ही शिक्षक का प्रमुख कत्र्तव्य है। इस मौके पर अरविंद तिवारी, भरतलाल रिछारिया, गुलाबसिंह, विशाल जैन, देवेशहरि सोनी, अनुज दीक्षित, अजय कुमार सिंह, अमित जैन, यशवेंद्र सिंह गुर्जर, भूपेंद्र सिंह निरंजन, हृदेश पांचाल, ज्योतिरादित्य पटेल, सौरभ रावत, संजीव विदुआ, संजय सिंह, मयंक बबेले, रामप्रकाश पटेल, निन्दराम अहिरवार, धनीराम, शंकरसिंह, भरतलाल, मनीराम, भारत, आशा देवी, रहनुमाबानो, अर्पिता राजे, रक्षाराजा, शशिलता, सावित्री, प्रियंका, शोभा, रूचि आदि शिक्षक शिक्षामित्र मौजूद रहे। सहायक अध्यापक सुनील कुमार, अनुदेशक मानसिंह एवं मु.जुबैर ने टेक्नीकल सहयोग किया।

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