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AIIMS में दो साल से नहीं चलीं करोड़ो की सीटी स्कैन और MRI मशीनें

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 16 करोड़ रुपये की एमआरआई और सीटी स्कैन मशीनें दो वर्षों से बेकार पड़ी हैं। रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं होने से दो साल में एक भी मरीज की जांच नहीं हो पाई। मरीजों को निजी जांच केंद्रों में महंगी जांच करानी पड़ रही है। सीएम सिटी में एम्स की शुरुआत हुई तो लोगों को लगा कि अब बेहतर इलाज मिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एम्स में इस समय 18 विभागों की ओपीडी चल रही है। प्रतिदिन 3000 से अधिक मरीजों का इलाज ओपीडी में किया जा रहा है। साथ ही 300 बेड का आईपीडी भी चल रहा है। ओपीडी में आने वाले 30 से अधिक मरीजों को डॉक्टर प्रतिदिन सीटी स्कैन और एमआरआई जांच के लिए लिखते हैं। दोनों ही जांचें एम्स में नहीं हो पा रही हैं। जबकि एम्स में दो साल पहले 11 करोड़ से एमआरआई और पांच करोड़ से सीटी स्कैन मशीन लगाई गई हैं। दोनों मशीनों का ट्रायल हो चुका है। इस्तेमाल नहीं होने से दोनों की टॉली जाम हो गई है। बता दें कि एम्स में गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़, देवीपाटन मंडल के अलावा बिहार और नेपाल से भी मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं।

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