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हनुमान के इतने सारे रूप देख कर चकित रह जाएंगे आप, देखना है तो चले आइए दिल्ली

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुताबिक हनुमान भले ही दलित समुदाय के हों और उसके बाद हिंदू समुदाय में हनुमान को जाति के आधार पर विभाजित कर अपनी मुहर लगाने की होड़ मच गई हो, लेकिन दिल्ली के एक कला केंद्र में पवनदेव के पुत्र के अनगिनत रूपों को देख ऐसा ही प्रतीत होता है कि हनुमान किसके नहीं हैं। ब्राह्म्ण हैं, साधक हैं, क्षत्रिय हैं, प्रतिपालक और सेवक हैं तो योद्धा और तांत्रिक भी हैं।

विविध रूपों में हनुमान का संग्रहालय है गुरुग्राम में

बजरंग बली की मुद्राओं का चयन कर इंदिरा गांधी सांस्कृतिक कला केंद्र में प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें केसी आर्यन ने लिखी पुस्तक ‘हनुमान इन आर्ट एंड मैथोलॉजी’ जिसमें विदेश में हनुमान नाम से पूरा एक पाठ है। 

तांत्रिक भी और सेवक भी

रामचंद्र के चरणों में, सेवक रूपा, क्रोध रूपा, प्रसन्न रूपा, संजीवनी बूटी लाते, रावण के कनिष्ठ पुत्र अक्षय का वध करते, राम को कंधों पर बैठाए, क्षत्रिय रूपा, तांत्रिक के रूप में, साधक और प्रतिपालक के रूप में, सुंदरकांड के हर रूप में हनुमान की विभिन्न मुद्राएं गुरुग्राम स्थित हनुमान संग्रहालय में प्रतीत होती हैं। तांत्रिक के रूप में हनुमान को देख हर दर्शक अभिभूत है। बताते हैं 18वीं सदी में ब्राह्म्णों द्वारा नियमित पूजा के लिए हनुमान को इस रूप में बनाया गया। इसे राजस्थान के जोधपुर में पंडितों ने खुद तैयार किया था, इसीलिए इस पर कई यंत्र-मंत्र भी हैं। इसमें सिद्धि है इसलिए इसे रखने में दिशा का भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है। बीएन आर्यन बताते हैं जहां-जहां दुनिया में रामायण का विस्तार हुआ उन जगहों पर हनुमान सभी भक्तों के प्रिय बन गए। उनकी अनेकों मुद्राएं वहां पाई गईं। मसलन इंडोनेशिया के बालि में पपेट की शक्ल में दिखते हैं तो नेपाल से कांसे की मूरत में हनुमान राम को कांधे पर उठाए हैं।

दुनिया का पहला हनुमान संग्रहालय

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में हनुमान के विविध रूप पर लगी प्रदर्शनी के संचालक बीएन आर्यन बताते हैं कि पौराणिक साहित्य में इस बात का उल्लेख है कि भगवान शिव के 11वें अवतरण हनुमान एक अध्येता, संगीतकार और एक नृतक भी रहे। इन्हीं सब रूपों में भी हनुमान यहां इन आकृतियों में दिखाई देते हैं। ये प्रतिमाएं 200-300 बरस पुरानी हैं। यह मेरे पिता केसी आर्यन की बजरंग बली के प्रति आस्था और उनका धर्मानुराग ही था कि वे देश-दुनिया में जहां गए वहां से हनुमान के विविध रूपों को, उनकी मुखाकृतियों को संजोया। तभी आज यह 600 मूर्ति, आकृति, मुखौटे, कांसा की प्रतिमा का एक संग्रहालय बन गया। जिसे दुनिया का पहला ऐसा संग्रहालय कह सकते हैं जहां हनुमान इतने रूपों में, मुद्राओं में एक साथ अवतरित हैं। इस कला केंद्र में 600 में से चयन कर 300 प्रतिमाओं को प्रस्तुत किया गया है।

पिता को अर्पित

बीएन आर्यन कहते हैं कि मेरे पिता केसी आर्यन इस देश में पहले ऐसे प्रख्यात चित्रकार हुए जिन्होंने लोक व आदिवासी कला को भारतीय मानचित्र पर लाकर उभारा। हनुमान के इसी संग्रहण पर उन्होंने अंग्रेजी में पहली पुस्तक ‘हनुमान इन आर्ट एंड मैथोलॉजी’ 1975 में लिखी उसमे विदेश में हनुमान नाम से पूरा एक पाठ है। इसका दूसरा संस्करण 1993 में आया लेकिन अब यह किताब नहीं बची सिर्फ 15 कॉपी शेष हैं। प्रदर्शनी में इसकी खूब मांग हो रही है, लेकिन आर्थिक अभाव में अब प्रकाशन नहीं करा पा रहा हूं। ये किताब हनुमान के इन्हीं विविध रूपों के सफर को विस्तार से दर्शाती है। उनकी तलाश के अनुभवों को बताती है। गुरुग्राम स्थित हनुमान संग्रहालय भी 1983 में पिता जी ने ही बनाया था।

बजरंग बली तो हर किसी के हैं

हाल ही में हनुमान की जाति को लेकर चल रही राजनीति पर बीएन आर्यन कहते हैं कि पात-पात में जाति तलाशने की परंपरा से मजबूर भारत की माटी में जन्मे लोगों ने हनुमान पर भी पता नहीं जाति के कितने ठप्पे लगा डाले हैं। यहां देखो हनुमान तो हर रूप में हैं, हर किसी के हैं।

30 तक करें दर्शन

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 19 नवंबर को हनुमान के विविध रूपों की इस प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह और विजय गोयल ने किया था। यह प्रदर्शनी 30 दिसंबर तक सोमवार के अलावा सुबह 10 से शाम 7 बजे तक प्रतिदिन देख सकते हैं। कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी के सहयोग 300 तस्वीरों का कैटलॉग भी तैयार कराया है। इसमें हनुमान के ये सभी रंगीन प्रिंट में हैं।

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