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दिल्ली में आई इस ‘खूबसूरत बहू’ ने लूट लिया लोगों को दिल, लोग बोले- ‘वाह सुमन वाह…’

राजधानी दिल्ली में मंडी हाउस स्थित श्री राम सेंटर ऑडिटोरियम में बृहस्पतिवार शाम को नाग बोडस लिखित ‘खूबसूरत बहू’ नाटक का मंचन किया गया। रंगकर्मी सुमन कुमार के निर्देशन में इस नाटक का मंचन किया गया।

सुमन कुमार निर्देशित नाटक ‘खूबसूरत बहू’ में मंच पर लोक संगीत की धुन खास रही। नाट्य मंचन के दौरान ढोलक, नगाड़ा, घंटी और हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों के इस्तेमाल ने समा बांध दिया।

दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के अंतर्गत आने वाला आत्मा राम सनातन धर्म (ARSD) महाविद्यालय अपना चार दिवसीय (16-19 जनवरी तक) नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है।

मशहूर लेखक जयदेव तनेजा के सम्मान में आयोजित इस नाट्य समारोह में जयदेव तनेजा को एआरएसडी कॉलेज के  प्राचार्य ज्ञानतोष कुमार झा द्वारा सम्मानित किया गया।

इस कड़ी में बृहस्पतिवार शाम को ‘खूबसूरत बहू’ का मंचन किया गया। इससे पहले बुधवार को मोहन राकेश लिखित और जेपी सिंह के निर्देशन में ‘आधे अधूरे’ नाटक का मंचन किया गया था।

खबसूरत बहू’ ने किया रूढ़ी परंपरा पर कटाक्ष
शहरी माहौल में हमें रूढ़ी परंपराएं भले कम दिखाई पड़ती हैं, लेकिन गांव की चौखटों में आज भी ये बखूबी गड़ी हुई हैं। बात चाहे दहेज प्रथा की हो या टोने टोटके की अभी यह सब के साथ बदला नहीं है। बाकायदा समय को मुंह चिड़ा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अशिक्षा है। इन सभी रूढ़िवादी परंपराओं पर कटाक्ष किया उत्सव के दूसरे दिन यानी बृहस्पतिवार को सुमन कुमार के निर्देशन में मंचित नाटक ‘खबसूरत बहू’ ने। नाग बोडस द्वारा लिखित नाटक में दिखाया गया कि एक स्त्री, दूसरी स्त्री को वो सब कुछ करने पर विवश करती है जो उसने किया है। गांव में विधवा चाची अपने भतीजे हरिके साथ रहती है। ग्रामीण परिवेश है। लिहाजा चाची की शादी महज 12 साल की उम्र में कर दी गई। एक सैनिक की पत्नी चाची कुछ ही दिन बाद विधवा हो गई। बचपन से ही विधवा होने के कारण उसे यह भी नहीं पता कि बच्चे का जन्म स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक संबंध होने पर होता है। वो तो ओझा और भगवान की प्रार्थना से ही ऐसा होना मानती आ रही है। चाची हरि का पालन करती हैं और उनकी इच्छा है कि हरि की शादी एक खूबसूरत लड़की से हो। कुछ समय बाद वो उसकी शादी सुमन से करवा देती हैं। सुमन आठवीं पास है, लेकिन खूबसूरत है। चाची उसकी खूबसूरती बरकरार रखने के लिए उसे कोई काम नहीं करने देतीं और उनकी चाह एक पोता पाने की होती है। इसके लिए वह बहू को टोने टोटके वाले ताबीज बांध देती हैं। गांव की ही महिला बसंती, जो चौथी तक पढ़ी है, लेकिन समझदार है। सुमन के आने के बाद उसका रुतबा कम हो जाता है। इस दौरान हरि का दोस्त चाची को बताता है कि ताबीज से कुछ नहीं होने वाला हरि और सुमन के साथ मिलने से ही बच्चा होगा। चाची को समझ आ जाता है और अंत में हरि और सुमन का मिलन होता है और फैमिली ड्रामा का पर्दा गिरता है।

नाटक में हरि की भूमिका शुभम ने अदा की तो सुमन की भूमिका में दिव्यांशी ने चार चांद लगा दिए। वहीं,कृतिका सिंह ने भी चाची की भूमिका जबरदस्त तरीके से निभाई।

‘खूबसूरत बहू’ नाटक के लेखक नाग बोडस का जन्म 19 दिसंबर, 1939 को मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के अम्बाह कस्बे में हुआ। भौतकी में एमएससी तथा पीएचडी करने के साथ ग्वालियर के माधव अभियांत्रिकी एवं विज्ञान संस्थान में अध्यापन किया। बावजूद इसके मुख्यत: नाटककार के रूप में पहचान उऩकी पहचान है।

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