टैक्स के 8 करोड़ 83 लाख रुपए नहीं किए जमा, गैमन इंडिया पर कुर्की की कार्रवाई
टीटी नगर में विवादित बहुमंजिला दीपमाला इन्फ्रास्ट्रक्चर (गैमन इंडिया) रियल एस्टेट कंपनी पर नगर निगम ने बुधवार को संपत्ति कुर्की की कार्रवाई की है। निगम अधिकारियों ने बताया कि कंपनी ने बीते आठ सालों से संपत्ति कर का भुगतान नहीं किया था। लिहाजा 8 करोड़ 83 लाख 12 हजार 668 रुपए की बकाया राशि को लेकर कुर्की कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई के कारण अब प्राजेक्ट में प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री नहीं हो सकेगी।
इधर गैमन में प्रापर्टी खरीदने वालों ने भी कार्रवाई को सही बताया है। उन्होंने कहा है कि कंपनी ने एक हजार करोड़ की संपत्ति को गिरवी रखकर उनके और सरकार के साथ भी धोखाधड़ी की है। इसे लेकर कंपनी के खिलाफ जालसाजी और फर्जीवाड़े की कई शिकायतें भी दर्ज हैं। वहीं बुधवार को इस मामले में फिर प्रापर्टी के खरीदारों ने विधि मंत्री पीसी शर्मा से शिकायत की है।
ऐसे की मनमानी
– 14.8 एकड़ बेशकीमती जमीन लीज पर दी है, प्रदेश सरकार ने भोपाल के टीटी नगर के पास कंपनी को ।
– 15,36,867.02 वर्ग फीट क्षेत्र में निर्माण करने के लिए अनुमति दी थी आवंटित भूमि के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने दीपमाला को।
– 24 प्रतिशत वसूली नियमों के खिलाफ की है कंपनी ने डेवलपमेंट शुल्क और अर्जित ब्याज के नाम पर।लीज के नाम पर भी लाखों रुपए हर एक खरीदार से वसूले गए थे।
फर्जी दस्तावेज किए गए तैयार
17 अप्रैल 2008 में कंपनी के अनुबंध में तय किया था कि दीपमाला इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी मालिक नहीं बल्कि प्रोजेक्ट डेवलपर है। मई 2017 को शर्तों के अनुसार हाउसिंग बोर्ड को प्रोजेक्ट सौंपना था। खरीदारों ने बताया कि कंपनी के पूर्व डायरेक्टर रमेश शाह ने तत्कालीन कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव के फर्जी हस्ताक्षर व सील बनवा कर 5 सौ करोड़ रुपए की टीटी नगर स्थित जमीन की लीज ली थी। खरीदारों द्वारा प्रॉपर्टी खरीदने के बाद भी पूरा प्रोजेक्ट ही गिरवी रखा गया है। इन दोनों मामलों को लेकर न्यायालय में परिवाद भी दायर किया गया है।
आरोप- दिवालिया होने की कगार पर कंपनी
शिकायतकर्ता चंदना अरोरा ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने प्रदेश सरकार के साथ भी धोखाधड़ी की है। अरोरा के मुताबिक दिवालिया होने की कगार पर कंपनी ने सोनी-मोनी इलेक्ट्रॉनिक्स के नाम पर एक हजार करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति को चुपचाप तरीके से गिरवी रख दिया है। दीपमाला इन्फ्रास्ट्रक्चर और मुम्बई की सोनी-मोनी इलेक्ट्रॉनिक्स दोनों ही रमेश शाह की कंपनी हैं। विवादित प्रोजेक्ट में सोनी मोनी इलेक्ट्रॉनिक्स की 23 प्रतिशत साझेदारी है।
रेरा से भी खरीदारों को राहत नहीं
कंपनी द्वारा की गई धांधली को लेकर खरादारों ने रेरा में भी शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि रेरा ने 28 पेज के फैसले में शिकायत कर्ता चंदना अरोरा को मुआवजे का हकदार नहीं बताया था। शिकायत में बताया गया था कि 2015 में कंपनी ने 90 प्रतिशत राशि जमा करा ली, लेकिन फ्लैट का पजेशन नहीं मिला। जबकि टेंडर शर्तों में लिखा था कि 2015 के अंत या 2016 के मध्य में फ्लैट का कब्जा दे दिया जाएगा। इस मामले में शिकायतकर्ताओं ने पांच अक्टूबर 2017 को पीएमओ में भी शिकायत की थी।
प्रोजेक्ट में खरीदी-बिक्री नहीं होगी
निगम ने संपत्ति कर नहीं चुकाने पर कंपनी पर कुर्की की कार्रवाई की है। जो भी एजेंसी इसे टेकओवर करेगी उसे पहले टैक्स चुकाना होगा। निगम नीलामी की कार्रवाई के लिए भी स्वतंत्र है। जिन्हें प्रोजेक्ट के तहत प्रापर्टी का पजेशन दे दिया गया है, उनके संपत्ति कर के निगम में अलग खाते खोले गए हैं। लेकिन अब प्रोजेक्ट में खरीदी-बिक्री नहीं होगी। रजिस्ट्रार को निगम ने मामले पर पत्र भी लिखा है