चुनावी सपनों पर गडकरी के चुभते तीर, विपक्ष को मोदी सरकार पर हमले का मिला नया हथियार
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अब एक ऐसा बयान दिया है जिससे उन्हीं की सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने चुनाव में किए गए वादों का जिक्र करते हुए कहा कि सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें वरना जनता सपने पूरे नहीं होने पर नेताओं की पिटाई करती है. नितिन गडकरी ने यह बयान देते हुए किसी नेता या पार्टी का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका बयान विपक्ष के लिए मोदी सरकार पर निशाना साधने का मौका साबित हो रहा है.
नितिन गडकरी के बयान के बाद कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि गडकरी जी हम समझ गए कि आपका निशाना किधर है. प्रियंका यहां मोदी सरकार में किए गए वादे पूरा न होने की ओर इशारा कर रही थीं और उन्होंने गडकरी के बयान के बहाने बीजेपी को घेरा, जिसे अब से कुछ महीने बाद चुनाव में उतरना है. इसके अलावा AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी गडकरी के बयान के बाद ट्वीट कर कहा कि गडकरी बड़ी चतुराई से पीएम मोदी को आईना दिखा रहे हैं.
गडकरी के बयान के बाद बीजेपी बचाव की मुद्रा में दिखी और पार्टी की ओर कहा गया है गडकरी ने वादे पूरा न होने की बात विपक्ष के संदर्भ में कही है, मोदी सरकार ने तो जनता से जो भी वादे किए थे उन्हें वक्त पर पूरा किया गया है. गडकरी ने भले ही अपने बयान का संदर्भ नहीं बताया हो लेकिन पक्ष और विपक्ष के नेता अपनी सहूलियत के हिसाब से इसका मतलब जरूर निकाल रहे हैं.
कांग्रेस के नेहरू की तारीफ
बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष गडकरी ने पहली बार ऐसा बयान नहीं दिया है जिसे लेकर सियासी भूचाल आया है. इससे पहले भी उनके कई बयानों से बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार को मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा है. बीते हफ्ते ही एक कार्यक्रम में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के भाषण की खुलकर तारीफ भी की थी. यहां तक कि इससे पहले वो इंदिरा गांधी की भी तारीफ कर चुके हैं.
‘सत्ता के लिए किए बड़े वादे’
इससे पहले भी अपने एक बयान में गडकरी ने कहा था कि हमें विश्वास था कि हम सत्ता में नहीं आने वाले हैं. इसी वजह से चुनाव में बड़े-बड़े वादे किए जिससे अगर हम सत्ता में नहीं आए तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे. मराठी कार्यक्रम दिए गए इस बयान के दौरान गडकरी फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर के साथ बातचीत कर रहे थे. गडकरी के इस बयान को कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने मुद्दा बनाया था. राहुल गांधी ने तो इसका वीडियो तक अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया. हालांकि इस बयान पर बवाल के बाद गडकरी ने सफाई देते हुए कहा कि इसका गलत अर्थ निकालने वालों को मराठी भाषा की समझ नहीं है.
मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष का सबसे बड़ा बेरोजगारी भी गडकरी के बयानों से अछूती नहीं रही है. कुछ वक्त पहले उन्होंने मराठा आरक्षण पर चर्चा के दौरान कहा था कि आरक्षण देने से क्या होगा, जब नौकरियां हैं ही नहीं. उन्होंने कहा कि नौकरियां कम हो रही हैं, अगर आरक्षण दे भी दिया जाता है तो नौकरी कैसे देंगे, सरकारी भर्ती रुकी हुई है, नौकरियां कहां हैं?
‘विफलता का जिम्मेदार कौन’
गडकरी नेताओं की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने को लेकर भी बयान दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी सांसद और विधायक अच्छा नहीं करता तो इसकी जिम्मेदारी पार्टी के मुखिया की होती है. इसके अलावा वह कह चुके हैं कि सफलता के दावेदार कई होते हैं, लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता. सफलता का श्रेय लेने के लिए होड़ रहती है, लेकिन असफलता को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, उस वक्त सब दूसरे की ओर उंगली दिखाने लगते हैं.
‘कुछ नेता मुंह बंद रखें’
एक टीवी कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था, ‘हमारे पास इतने नेता हैं और हमें उनके सामने (टीवी पत्रकारों) बोलना पसंद है, इसलिए हमें उन्हें कुछ काम देना है. उन्होंने एक फिल्म के सीन का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोगों के मुंह में कपड़ा डाल कर मुंह बंद करने की जरूरत है.’
नितिन गडकरी अपने इन बयानों को विपक्षी दलों का दुष्प्रचार बता चुके हैं. बीते दिनों उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि कुछ दिनों से मेरे बयानों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बयानों को संदर्भ से अलग करके उनका इस्तेमाल राजनीतिक मंशा के लिए किया जा रहा है. इससे मुझे और मेरी पार्टी को निशाना बनाने की कोशिश हो रही है.
गडकरी ने ऐसे बयानों का खंडन करते हुए कहा था कि ऐसी साजिशों से मेरे और बीजेपी हाईकमान के बीच संबंध खराब होने वाले नहीं हैं. पहले भी अपनी स्थिति साफ कर चुका हूं और आगे भी झूठा प्रचार करने वालों को उजागर करता रहूंगा.