उत्तराखंड

पहली बार स्थानीय फूलों से सजेगा केदारनाथ धाम, प्लास्टिक फूल प्रतिबंधित

इस बार मई प्रथम सप्ताह कपाट खुलने के मौके पर केदारनाथ मंदिर को सजाने के लिए फूल बाहर से नहीं मंगाए जाएंगे, बल्कि स्थानीय फूलों से ही मंदिर की सजावट होगी। यही नहीं, पूरे यात्राकाल में स्थानीय फूल ही मंदिर में चढ़ाए जाएंगे। इसके अलावा केदारपुरी में प्लास्टिक के फूलों को भी पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। 

केदारघाटी के लोगों के लिए केदारनाथ यात्रा रोजगार का मुख्य जरिया है। इसी के दृष्टिगत प्रशासन इस बार कपाट खुलने के मौके पर स्थानीय फूलों से ही मंदिर की सजावट करना चाहता है। ताकि, स्थानीय स्तर पर रोजगार का मजबूत जरिया विकसित हो सके। साथ ही देश-विदेश से बाबा के दर्शनों को आने वाली यात्री यहां की संस्कृति से भी परिचित हो सकें।

दरअसल, कपाट खुलने के मौके पर केदारनाथ मंदिर को सजाने के लिए दिल्ली समेत अन्य स्थानों से 15 क्विंटल से अधिक फूल मंगवाने पड़ते हैं। इस पर दो लाख तक का खर्चा आता है। अब स्थानीय फूलों से सजावट करने पर न केवल लागत कम आएगी, बल्कि इसका फायदा सीधे स्थानीय लोगों को ही मिलेगा। इसके अलावा यात्रा सीजन में प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध रहने से असली फूलों की डिमांड भी बढ़ेगी।

तीनों ब्लॉक में हो रही फूलों की खेती

रुद्रप्रयाग जिले में ऊखीमठ, जखोली व अगस्त्यमुनि ब्लॉक के विभिन्न गांवों में गेंदे के फूलों की खेती की जा रही है। इसके अलावा प्रशासन की ओर से स्वयं सेवी संस्थाओं, प्रगतिशील किसानों व आम लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

सोनप्रयाग व केदारनाथ में लगेगी फूलों की मंडी

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि फूलों की बिक्री के लिए प्रशासन की ओर से सोनप्रयाग व केदारनाथ में फूलों की मंडी लगाई जाएगी। बताया कि केदारनाथ में पहली बार लगने वाले हाट बाजार के लिए सितंबर 2018 में 50 दुकानों का निर्माण कर उन्हें स्थानीय व्यापारियों को आवंटित किया जा चुका है। इन दुकानों से फूलों के साथ पहाड़ी उत्पादों की बिक्री की जाएगी।

प्रसाद से मिला दो हजार महिलाओं को रोजगार

केदारनाथ में बीते वर्ष डीएम की पहल पर स्थानीय प्रसाद योजना शुरू की गई थी। इसमें जिले की दो हजार से अधिक महिलाओं को रोजगार मिला था और एक करोड़ करोड़ से अधिक का प्रसाद बिका था।

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