पराली जलाने से देश को होता है 30 अरब डॉलर का नुकसान

उत्तर भारत में पराली जलाने के कारण पैदा होने वाले वायु प्रदूषण से श्वसन संक्रमण का खतरा का काफी अधिक बढ़ रहा है और साथ ही इससे सालाना 30 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।
अमेरिका के इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट एवं सहयोगी संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण उत्तर भारत के विभिन्न जिलों में रहने वालों में एक्यूट रेसपिरेटरी इन्फेक्शन (ARI) का खतरा बहुत अधिक होता है। इस अध्ययन में कहा गया है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में इस संक्रमण का खतरा सर्वाधिक होता है।
इस अनुसंधान के जरिए पहली बार उत्तर भारत में पराली जलाने से स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले नुकसानों का अध्ययन किया गया है। आईएफपीआरआई के रिसर्च फेलो और इस अध्ययन के सह लेखक सैमुअल स्कॉट ने कहा कि वायु की खराब गुणवत्ता दुनियाभर में स्वास्थ्य से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या बन गयी है और दिल्ली में तो हवा में पार्टिकुलेट मैटर का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से 20 गुणा तक अधिक हो गया है।
स्कॉट ने बयान जारी कर कहा कि अन्य पहलुओं में हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाने से निकलने वाले धुएं के कारण दिल्ली में वायु गुणवत्ता पर असर पड़ता है। साथ ही ऐसे जिलों के लोगों में एआरआई का खतरा तीन गुणा तक बढ़ जाता है जहां बहुत बड़े पैमाने पर पराली जलायी जाती है।