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कश्मीरियत की बड़ी मिसाल :- नये कश्मीर मे विकास के रास्ते से हटाया गया, मस्जिद की दीवार .

ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के कमरवारी को नूरबाग से जोड़ने के लिए पुल का निर्माण होना है। वर्ष 2002 में झेलम नदी पर 10 करोड़ की लागत से 166 मीटर लंबा डबल लेन पुल बनाने की परियोजना मंजूर हुई, लेकिन इस कार्य में 18 बाधाएं थीं। फायर स्टेशन, 16 आवासीय व व्यावसायिक भवन और अबु तुराब मस्जिद की जमीन इसकी राह में बाधा बनी हुई थी।

वर्ष 2018 में लंबित परियोजनाओं को पूरा करने की योजना के तहत प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनांस कॉरपोरेशन के जरिए इसके लिए 2.5 करोड़ की निधि जारी की, लेकिन रुकावटें बरकरार थीं। पुल का निर्माण न होने से लोगों को कई दिक्कतें हो रही थीं। आखिर श्रीनगर के जिला उपायुक्त डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी ने मस्जिद हटाने के लिए प्रयास शुरू किए।

बताया कि इस्लाम में आम लोगों की सहूलियत और उनकी तरक्की को सबसे अधिक अहमियत दी जाती है। विचार-विमर्श के बाद मस्जिद कमेटी ने पुल निर्माण की योजना को जल्द पूरा करने के लिए मस्जिद की जमीन देने पर सहमति प्रकट कर दी। डॉ. शाहिद ने बताया कि पुल निर्माण के साथ झेलम दरिया के दोनों किनारों पर बाढ़ संरक्षण और सौंदर्यीकरण के काम पूरे किए जाएंगे।

श्रीनगर-बारामुला राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तार में जैनकूट के निकट 72 साल पुराने दमदमा साहिब गुरुद्वारा आड़े आ रहा था। वर्ष 2015 में यह मामला कोर्ट में भी गया, लेकिन यहां भी बात बनी प्रशासनिक कौशल से। श्रीनगर के जिला उपायुक्त डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी ने सिख समाज के लोगों से बातचीत की।

कश्मीरियत की बड़ी मिसाल कायम करते हुए लोग झेलम नदी पर पुल निर्माण के लिए 40 साल पुरानी मस्जिद की जगह देने के लिए राजी हो गए हैं। इसी माह के शुरू में विकास कार्य के लिए ऐतिहासिक गुरुद्वारा हटाने पर सहमति बन गई थी।

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