आमतौर पर सख्त नजर आने वाले अमित शाह के तेवर इस बार कुछ बदले हुए नजर आए। नौ माह पहले किए गए दौरे में दिखे कड़े तेवर इस बार अपेक्षाकृत शांत थे। उनका फोकस सरकार व संगठन की कार्यशैली न होकर 2019 के लोकसभा चुनाव पर रहा।
उन्होंने माइक्रो बूथ मैनेजमेंट के साथ ही मौजूदा चुनौतियों से निपटने के सूत्र कार्यकर्ताओं को दिए। कार्यकर्ताओं की हौसला अफजाई के लिए उन्होंने उनके संग सेल्फी खिंचवाई और उनके कार्यो पर संतोष जताते हुए और अधिक बेहतरी की उम्मीद जताई।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का यह एक वर्ष के अंतराल में दूसरा दौरा था। बीते वर्ष जब भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तराखंड आए थे तो उन्होंने सरकार और संगठन की जम कर क्लास लगाई थी। उन्होंने दोनों को काम करने के तरीके सुधारने को लेकर भी नसीहत दी थी। इस दौरान उन्होंने संगठन के कामकाज के तरीकों को सुधारने की रूपरेखा बनाकर इसे अमल में लाने को कहा था।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के इसी तेवर के कारण इस बार उनके दौरे से पहले सरकार व संगठन की पेशानी पर भी बल पड़े हुए थे। हालांकि, जिस तरह से राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं से संवाद किया वह प्रदेश पदाधिकारियों के लिए खासा राहत भरा रहा।
दरअसल, इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सरकार व संगठन के कामकाज का आंकलन तो किया लेकिन उनका अधिक फोकस अगले वर्ष होने वाले चुनावों की तैयारियों पर रहा। इसके लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं को बूथ मैनेजमेंट के साथ ही नए वोटरों को अपने साथ जोड़ने के सूत्र दिए। साफ है कि शाह के दौरे का मकसद लोकसभा चुनावों की तैयारियों को परखने के साथ ही सरकार व संगठन को एक रोडमैप देना भी रहा।