राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के रसंघ चालक मोहन भागवत की मौजूदगी से हाई प्रोफाइल हुई आचार्य सभा की बैठक का एजेंडा भले ही पूरी तरह गैर राजनीतिक रहा हो लेकिन पूरी बैठक भाजपा के मिशन-2019 के एजेंडे के आसपास ही घूमती रही।
बैठक में जिन मुद्दों को छुआ गया, उनमें से अधिकांश न जाने क्यों भाजपा के चुनावी एजेंडे के आसपास ही ही दिखाई दिए। मोदी सरकार की प्रगति रिपोर्ट पर भी आचार्य सभा ने हां की मुहर लगाई। रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हरिद्वार आकर संतों से मुलाकात के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हरिद्वार यात्रा पर पूरे धर्म और राजनीतिक जगत की नजर थी।
चर्चा यही रही कि अमित शाह के सामने शांतिकुंज प्रमुख डा. प्रणव पंड्या की भाजपा और केंद्र सरकार के बारे में दिखी असहमति के मद्देनजर ही मोहन भागवत संतों को मनाने आ रहे हैं। हालांकि आचार्य सभा के अध्यक्ष स्वामी अवधेशानंद गिरि ने स्पष्ट किया कि बैठक आज से छह महीने पहले ही तय थी।
बैठक का एजेंडा पूरी तरह गैर राजनीतिक बताया, लेकिन ऐसा नहीं दिखा
यूं तो सभी वक्तओं ने बैठक का एजेंडा पूरी तरह गैर राजनीतिक बताया। लेकिन बैठक में दलितों के उत्थान का मुद्दा रहा हो या फिर गंगा की रक्षा, कुंभ को अद्वितीय बनाने का मामला ये सारे मुद्दे भाजपा के एजेंडे से मेल खाते दिख रहे हैं।
विगत दो अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की आरक्षण को लेकर की गई टिप्पणी के विरोध में उग्र आंदोलन कर देशभर को हिला कर रख देने वाले दलित समाज के आंदोलन से भाजपा की पेशानी पर भी खासे बल पड़े हुए हैं।
भाजपा ने अपने कई एजेंडे भी दलित समाज के इस आक्रोश को देखते हुए बदलने पड़े थे। दलित भोज सरीखे आयोजन करने का एजेंडा भी भाजपा ने अपनाया।
गंगा रक्षा को लेकर अपना चुनावी तानाबाना बुन रही है भाजपा
अब आचार्य सभा और संघ ने भी दलित उत्थान के लिए मिलजुल कर काम करने का निर्णय लेकर एक तरह से भाजपा के एजेंडे को ही सिरे चढ़ाया है। गंगा रक्षा को लेकर भाजपा भी अपना चुनावी तानाबाना बुन रही है।
वहीं कुंभ के बहाने हिंदुत्व का एजेंडा जैसे मुद्दे आचार्य सभा की बैठक में आए जो निसंदेह भाजपा के चुनावी अभियान का अहम हिस्सा रहते हैं। बैठक में शामिल धर्माचार्यों ने भले ही बैठक को पूरी तरह गैर राजनीतिक एजेंडे पर आधारित बताया लेकिन बैठक में शामिल एक धर्माचार्य ने इस बात की पुष्टि भी की कि बैठक में मोदी सरकार की कार्यप्रणाली पर संतोष जताया गया।
हालांकि सरकारी मशीनरी पर मोदी सरकार की पकड़ कमजोर मानते हुए इस दिशा में और ज्यादा काम करने की जरूरत बताई गई। बैठक के बाद एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है कि मोदी सरकार के लिए आरएसएस और धर्माचार्य वर्ष 2019 के चुनावों का रोडमैप तैयार करने में जुट गए हैं।