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दिल्ली / अनुच्छेद 370 हटाने की आलोचना करने वाली ब्रिटिश सांसद को वापस भेजा गया, सांसद ने कहा- अपराधियों जैसा सलूक हुआ

सरकार ने कहा- लेबर पार्टी की सांसद बी अब्राहम्स का ई-वीजा रद्द किया जा चुका था इसलिए देश में आने की इजाजत नहीं दी गई

नई दिल्ली. भारत ने ब्रिटिश सासंद और लेबर पार्टी की नेता डेबी अब्राहम्स को सोमवार को इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरने के बाद देश में प्रवेश करने से रोक दिया। वह दो दिन की यात्रा के लिए भारत पहुंची थीं। उनकी सहयोगी हरप्रीत उपल ने न्यूज एजेंसी को बताया कि एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने उनके वैध भारतीय वीजा को अस्वीकार कर दिया। हालांकि, अधिकारियों ने अब्राहम्स के वीजा को रद्द करने का कोई कारण नहीं बताया जबकि वीजा अक्टूबर 2020 तक वैध था। बता दें कि अब्राहम्स और उपल दुबई से नई दिल्ली सुबह 9 बजे पहुंचीं थीं। भारत में प्रवेश किए जाने से रोकने के बाद अब्राहम्स वापस दुबई लौट गईं।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि अब्राहम्स के पास यात्रा करने के लिए वैध वीजा नहीं था इसलिए उन्हें भारत में प्रवेश से रोक दिया गया। उन्होंने बताया कि उनके ई-वीजा को पहले ही रद्द कर दिया गया था और इसकी जानकारी उन्हें पहले दे दी गई थी।

अधिकारी ने वीजा रद्द किया, उसे भी कारण पता नहीं था- अब्राहम्स

अब्राहम्स 2011 से सांसद हैं। उन्होंने कहा, “मैंने यह जानने की काफी कोशिश की कि आखिर मेरा वीजा अस्वीकृत क्यों हुआ? फिर मुझे वीजा ऑन अराइवल भी मिल सकता था, जबकि वह भी नहीं दिया गया। जिस अधिकारी ने मेरा वीजा रद्द किया, उसे भी इसके पीछे का कारण नहीं पता था। उसने इसके लिए माफी भी मांगी। अब मैं यहां से वापस जाने का इंतजार कर रही हूं। मैं यह कहना चाहती हूं कि मेरे साथ यहां पर अपराधियों की तरह व्यवहार हुआ। मुझे उम्मीद थी कि वह इस दौरे के दौरान मुझे मेरे परिवार और दोस्तों से मिलने का अवसर देंगे।”

अब्राहम्स ने कहा था- अनुच्छेद 370 हटाना कश्मीरियों के साथ धोखा

5 अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर सांसद अब्राहम्स ने भारत सरकार की आलोचना कीं थी। उन्होंने ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग को पत्र लिखकर कहा था कि सरकार का यह कदम कश्मीर के लोगों के साथ धोखा है। अब्राहम्स ब्रिटिश संसद में कश्मीर मुद्दे को लेकर गठित संसदीय समूह की अध्यक्षता भी कर चुकी हैं। हाल ही में भारत सरकार द्वारा 25 राजनयिकों को कश्मीर का दो दिन का दौरा करवाया गया था। इसका उद्देश्य कश्मीर की हालिया स्थिति से विदेशी राजनयिकों को अवगत कराना था।

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