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KGMU के सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं चरमराईं भर्ती। …..

बड़ी खबर। .. केजीएमयू में सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं चरमरा गईं हैं। कई विभागों में भर्ती बंद है। मरीज निजी अस्पताल में लुटने को मजबूर हैं। यह हाल तब है, जब सरकार ने स्थाई पदों के साथ-साथ संविदा शिक्षकों की भर्ती की भी छूट दे रखी है वर्ष 2016 में केजीएमयू में 80 से अधिक विभाग थे। शासन ने नए विभागों को हरी झंडी के साथ-साथ पद भी मंजूर कर दिए वही इसमें कुछ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के आधार पर खोले गए, मगर सुपर स्पेशियलिटी विंग के इन विभागों में बैक गियर लग गया।

कई का दूसरे विभाग में विलय कर निष्क्रिय कर दिया गया। ऐसे में अब संस्थान में 56 से कम विभाग हो गए। मरीजों का भार पीजीआइ, लोहिया संस्थान पर बढ़ गया। यहां के कई विभागों में भर्ती बंद है। मरीज निजी अस्पताल में महंगा इलाज को मजबूर हैं। सबसे अधिक दिक्कत गुर्दा रोगियों को हो रही है।

16 अप्रैल 2015 को सरकार ने नौ विभागों को मंजूरी दी थी। इनके लिए एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर, एक असिस्टेंट प्रोफेसर व तीन सीनियर रेजीडेंट के पद स्वीकृत किए गए। इसमें से वर्ष 2016 के बाद वस्कुलर सर्जरी विभाग, थोरेसिक सर्जरी विभाग का सीवीटीएस में विलय कर दिया गया। मेडिकल आंकोलॉजी व न्यूक्लियर विभाग पद सृजित होने के बावजूद शुरू नहीं हो सके। साथ ही रेडिएशन फिजिक्स विभाग का रेडियोथेरेपी विभाग में विलय कर दिया गया।

ऐसे ही एडोलसेंट चाइल्ड साइकियाट्री डिपार्टमेंट निष्क्रिय पड़ा है। यहां सिर्फ ओपीडी ही चलती है। ऐसे ही महिलाओं की बांझपन आदि समस्याओं के लिए प्रस्तावित रिप्रोडक्टिव हेल्थ मेडिसिन विभाग धरातल पर नहीं आ सका। नेफ्रोलॉजी विभाग व इंडोक्राइन विभाग में भी भर्ती बंद है।

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