पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तबादला एक्ट में शासन की ओर से संशोधन की कवायद को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि पूरा तबादला एक्ट ही रद करना चाहिए। इसमें मानवीय पहलुओं को जोड़कर नए सिरे से बनाया जाना चाहिए।
राजपुर रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक्ट में कई अहम पहलू छोड़े गए हैं। ऐसे में संशोधन की बजाए इसे रद किया जाना चाहिए।
शिक्षिका उत्तरा प्रकरण पर तबादलों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में उत्तरा के लिए एक एक्ट और भाजपा नेताओं की शिक्षिका पत्निंयों के लिए अलग एक्ट नहीं हो सकता। सभी के लिए एक्ट एक समान होना चाहिए।
जनता दरबार में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की टिप्पणी पर तंज कसते हुए हरीश रावत ने कहा कि शिक्षिका ने जहां अपनी पीड़ा रखी वह जनता दरबार था, राजदरबार नहीं। जनता दरबार में समस्याओं को सुन कर उनका निस्तारण किया जाता है। राजदरबार में इस तरह के फरमान सुनाए जाते हैं।
हिमालय के पुत्र व संजीदा राजनेता हरीश
पत्रकारवार्ता में मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित राजेंद्र सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री के साथ पत्रकारवार्ता करने के संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा कि वह दलगत राजनीति से मुक्त इंसान है। वह किसी दल के नहीं, बल्कि गंगा के हैं। हरीश रावत को वह हिमालय के पुत्र व संजीदा नेता के रूप में देखते हैं।
जहां तक कांग्रेसी नेताओं के साथ मंच साझा करने की बात है तो जब घर जल रहा होता है तो कोई मदद करने वाले की जाति नहीं पूछता। गंगा व हिमालय में आग लगी है, इसे बुझाने जो आगे आए हैं उनका स्वागत है। इस विषय में सबको राजनीति नहीं बल्कि बड़ी भावना के साथ आगे आना चाहिए।