बुरहान वानी की दूसरी बरसी आज, कश्मीर में अलर्ट; रोकी गई अमरनाथ यात्रा
जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की आज (8 जुलाई) दूसरी बरसी है। जिसके चलते घाटी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबल नजर बनाए हुए हैं। वहीं, अलगाववादियों द्वारा बंद के ऐलान के बाद अमरनाथ यात्रा को भी एक दिन (रविवार) के लिए रोक दिया गया है। इससे करीब एक हजार की संख्या में अमरनाथ यात्रिकों को कठुआ में रोका गया है, तो वहीं 15,000 से भी ज्यादा बाबा बर्फानी के भक्तों को जम्मू, उधमपुर और रामबान जिले में रुकना पड़ा है। इस बीच एहतियात के तौर पर घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवा भी सस्पेंड कर दी गई है
‘यात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता’
राज्य के पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य ने शनिवार को बताया कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है, हमारा प्रयास तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करना है। अलगाववादियों ने रविवार (8 जुलाई) को हड़ताल का आह्वान किया है, ऐसे में हमें यात्रा रोकनी पड़ी।’ वैद्य ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा और सुगमता हमारी प्राथमिकता है। साथ ही उन्होंने तीर्थयात्रियों से अपील है कि घाटी की स्थिति को ध्यान में रखकर उनके साथ सहयोग करें।
संवेदनशील जगहों पर अतिरिक्त बल तैनात
इस बीच कानून व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए कश्मीर के कई हिस्सों में पाबंदियां लगा गई हैं। इनमें दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल कस्बे और श्रीनगर के नौहट्टा और मैसुमा इलाके पर अधिक नजर रखी गई है। घाटी में संवेदनशील जगहों पर अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है।
रेड अलर्ट जारी, अलगाववादी नजरबंद
सूत्रों के मुताबिक आतंकी बुरहान की बरसी पर आतंकी हमले से बचने के लिए श्रीनगर नेशनल हाईवे के 300 किलोमीटर के इलाके में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। इससे पहले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक को हिरासत में ले लिया गया, जबकि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता मीरवायज उमर फारुक को नजरबंद कर दिया गया है।
8, जुलाई 2016 में मारा गया था बुरहान वानी
बता दें कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में 8 जुलाई, 2016 को हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने बुरहान वानी को मार गिराया था। वो जम्मू-कश्मीर के त्राल का रहने वाला था। उसकी मौत के बाद घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसक झड़पें हुईं, लंबे समय तक कर्फ्यू लगा रहा था। करीब चार महीने तक घाटी सुलगती रही। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में करीब 85 लोगों की जान गई।