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भारत में आयात तभी होना चाहिए ​जब इससे रोजगार के अवसर तैयार हों: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि देश की तरक्की के लिए अगर किसी देश से आयात किया जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है. देश में चीन से आने वाले आयात पर अंकुश लगाने की बढ़ती मांग के बीच वित्त मंत्री का यह बयान काफी मायने रखता है.

गौरतलब है कि भारत-चीन नियंत्रण रेखा पर हाल में हुई हिंसक झड़प में हमारे देश के 20 जवान शहीद हो गए थे, जिसके बाद से देश में चीन विरोधी राष्ट्रवाद चरम पर है.

कई संगठनों ने चीनी माल के बहिष्कार की अपील की है. भारत-चीन के बीच व्यापार में पलड़ा चीन के पक्ष में झुका हुआ है. साल 2018-19 में भारत में चीन से 70 अरब डॉलर का आयात किया गया था.

भारतीय जनता पार्टी की तमिलनाडु यूनिट के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने गुरुवार को कहा कि जो कच्चा माल देश में उपलब्ध नहीं है और उसकी हमारी किसी इंडस्ट्री को जरूरत है तो उसका आयात करने में कुछ भी गलत नहीं है.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर अभियान की जानकारी देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘अपने उत्पादन को बढ़ाने और रोजगार के अवसर तैयार करने के लिए आयात करने में कुछ भी गलत नहीं है और निश्चित रूप से ऐसा होना चाहिए.

लेकिन आयात तभी होना चाहिए ​जब इससे रोजगार के अवसर तैयार हों, तरक्की को गति मिले और भारतीय अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता आए.’

वित्त मंत्री ने कहा कि लेकिन आश्चर्य तब होता है कि जब गणेश भगवान की मूर्ति भी चीन से आयात की जाती है. क्या मिट्टी की मूर्ति भी चीन से मंगवाना जरूरी है? निर्मला सीतारमण ने वर्चुअल रैली के जरिये तमिलनाडु के बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं.

उन्होंने कहा कि हर साल गणेश चतुर्थी त्योहार के दौरान स्थानीय कुम्हारों से मिट्टी से बनी गणेश की मूर्तियां खरीदी जाती हैं. लेकिन अब देखने को मिलता है कि गणेश की मूर्तियां भी चीन से आयात किया जाता है. ऐसा क्यों? उन्होंने पूछा कि क्या हम इस स्थिति में नहीं हैं कि गणेश की मूर्ति नहीं बना सकते हैं?

इसके अलावा उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी चीजें हैं, जिसके आयात पर विचार किया जाना चाहिए. जैसे पूजा में इस्तेमाल होने वाले सामान, साबुन बॉक्स, प्लास्टिक की वस्तुएं. ये सभी प्रोडक्ट्स देश में भी बनते हैं तो फिर हम इसे आयात क्यों करते हैं, हमें आत्मनिर्भर भारत की दिशा में छोटे घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए.

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