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कपिल मिश्रा ने केजरीवाल का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने की मांग की, जानें पूरी बात

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रिश्वत के आरोप में लोकायुक्त व सीबीआइ से क्लीन चिट दिए जाने के आम आदमी पार्टी के दावे के बीच पूर्व मंत्री व विधायक कपिल मिश्रा ने मांग की है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मंत्री सत्येंद्र जैन का लाई डिटेक्टर टेस्ट (झूठ पकड़ने वाला) कराया जाए। मैंने पहले भी यह मांग की थी। उनका दावा है कि इन दोनों नेताओं का टेस्ट होता है तो सब कुछ साफ हो जाएगा।

कपिल ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में किसी को जनता के सामने लाना उस समय कठिन हो जाता है जब भ्रष्टाचार करने वाला एक मुख्यमंत्री हो। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के सामने क्या चुप होकर बैठ जाएं या भ्रष्टाचार के खिलाफ न बोलें। उन्होंने कहा कि मैंने और मेरे परिवार ने केजरीवाल के भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का निर्णय लिया है, लड़ाई कितनी भी लंबी हो, हम लड़ेंगे। देश में भ्रष्ट और घोटालेबाज नेता क्लीन चिट लेकर घूमते हैं, सजा होती भी है तो कई सालों के बाद। रिश्वत के खिलाफ एक आम आदमी कैसे लड़े? उन्होंने कहा कि मैंने निर्णय लिया है कि उस दिन का एक-एक डिटेल प्रकाशित करके सार्वजनिक करूंगा।

मुख्य सचिव मारपीट मामले में केजरीवाल के यहां सीसीटीवी कैमरे की फुटेज का टाइम टेम्पर किया गया, यह स्पष्ट हो चुका है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल जैसे रिश्वतखोर नेता इस देश में आसानी से जेल नहीं जाते हैं। बता दें कि आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने एक अखबार में छपी खबर के आधार पर मंगलवार को प्रेसवार्ता कर मुख्यमंत्री अरविंद को क्लीन चिट दिए जाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि कपिल मिश्र ने जिस मामले में मुख्यमंत्री पर दो करोड़ रिश्वत लेने का आरोप लगाया था लोकायुक्त और सीबीआइ ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है।

केजरीवाल के जन्मदिन पर कराएंगे मुंडन

ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) कर्मचारियों के आश्रित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जन्मदिन पर (16 अगस्त) डीटीसी मुख्यालय पर मुंडन कराएंगे। उनका आरोप है कि वे कभी डीटीसी मुख्यालय तो कभी केजरीवाल के यहां चक्कर काट रहे हैं, मगर अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं दी जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि निगम में इस समय 600 लोग अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने के लिए लाइन में हैं। 2010 से सेवा के दौरान जान गंवाने वाले किसी भी कर्मचारी के आश्रित को नौकरी नहीं दी गई है। डीटीसी कर्मियों के आश्रितों की नौकरी के लिए लड़ाई लड़ रहे मनोज पांचाल का कहना है कि डीटीसी के एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है कि भर्ती में कुल में से 5 फीसद कोटा अनुकंपा के लोगों के लिए होगा। मगर नियमित तो दूर अनुबंध पर लगाए जा रहे कर्मचारियों में भी उन्हें जगह नहीं दी जा रही है।

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