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कोरोना महामारी में बच्चों की एक पूरी पीढ़ी कहीं गायब ना हो जाए! :-

यूनिसेफ ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी बच्चों की शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य को खतरा पहुंचा रही है. एजेंसी का कहना है कि महामारी से स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा पहुंच रही है और बढ़ती गरीबी बच्चों के लिए एक बड़ा खतरा है. यूनिसेफ ने कहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं के बाधित होने और महामारी के कारण गरीबी बढ़ने के साथ “एक पूरी पीढ़ी का भविष्य खतरे में है.” एजेंसी ने सरकारों से बच्चों के लिए सेवाओं में सुधार करने के लिए और अधिक कदम उठाने का आग्रह किया है. यूनिसेफ ने कहा कि कोविड-19 महामारी दुनिया भर के बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण के लिए “अपरिवर्तनीय नुकसान” का कारण बन सकती है. यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनिरिएटा फोर के मुताबिक, “प्रमुख सेवाओं में रुकावट और गरीबी की दर बढ़ जाना बच्चों के लिए सबसे बड़ा खतरा है. यह संकट जितना लंबा चलेगा बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और कल्याण पर उतना ही गहरा प्रभाव पड़ेगा. पूरी पीढ़ी का भविष्य खतरे में है.”

कोरोना महामारी में बच्चों की एक पूरी पीढ़ी कहीं गायब ना हो जाए! | दुनिया |  DW | 19.11.2020

यूनिसेफ ने महामारी के दौरान दुनिया भर में बच्चों की स्थिति पर एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी है, जिसमें शैक्षिक और स्वास्थ्य संबंधी अंतरालों को बंद करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है.

करीब 20 लाख अतिरिक्त बच्चों की मौत

140 देशों का सर्वेक्षण करने वाली इस रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग एक तिहाई देशों ने स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में कम से कम 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की है, जिनमें टीकाकरण और मातृ स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं. यूनिसेफ ने कहा कि अगर सेवाओं में रुकावट और कुपोषण का बढ़ना जारी रहता है तो इससे अगले 12 महीनों में 20 लाख अतिरिक्त बच्चों की मौत हो सकती है और 2 लाख मृत जन्म हो सकते हैं.

एजेंसी ने पाया कि महिलाओं और बच्चों के लिए पोषण सेवाओं में महामारी के कारण 135 देशों में 40 फीसदी की गिरावट देखी गई. अक्टूबर तक 26.5 करोड़ बच्चे स्कूल में मिलने वाला भोजन से वंचित रहे. इसके अलावा 25 करोड़ बच्चों को विटामिन ए का लाभ नहीं पा रहा, इन बच्चों की उम्र पांच साल से कम है. वहीं एजेंसी ने बताया कि पांच साल से कम उम्र के 60-70 लाख अतिरिक्त बच्चे तीव्र कुपोषण का शिकार हो सकते हैं.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्कूल बंद होने के कारण स्कूल जाने वाले 33 फीसदी बच्चे प्रभावित हुए हैं. यूनिसेफ के मुताबिक वैश्विक स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, पोषण, स्वच्छता या पानी की पहुंच के बिना गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या में 15 फीसदी की वृद्धि होने की आशंका है.

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