धर्म/अध्यात्म

संकष्टी चतुर्थी पर इन मन्त्रों के जाप से दूर होगीं हर बाधा

संकष्टी चतुर्थी का पर्व इस साल 31 जनवरी यानि आज है। इस पर्व को कई शहरों में सकट चौथ, संकट चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी, माही और तिलकुटा चौथ के नाम से भी जानते हैं। वैसे आप सभी जानते ही होंगे इस चतुर्थी पर श्री गणेश का पूजन किया जाता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ मंत्र जिनका जाप अगर आप करें तो बड़े लाभ होंगे।
गणेश जी के मंत्र-  1. श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्र: ऊँ । ऊँ वक्रतुण्डाय नम: । 2. श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्र: ऊँ गं ऊँ । महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।। 3. ऊँ गं गणपतये नम:। ऊँ श्री गणेशाय नम: । दूर्वा जरूर अर्पित करें 4. ऊँ नमो भगवते गजाननाय । ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् । 5. श्री गणेशाय नम: । महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।। 6. ऊँ श्री गणेशाय नम: । ऊँ गं गणपतये नम:। 7. ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् । ऊँ गं ऊँ । 8. ऊँ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:। ऊँ । 9. हीं श्रीं क्लीं गौं वरमूर्र्तये नम: । ऊँ गं गणपतये नम:। 10. हीं श्रीं क्लीं नमो भगवते गजाननाय । ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् । 11. श्री गजानन जय गजानन। ऊँ गं ऊँ । चँदन की धूप जलायें 12. महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।। ऊँ । 13- उच्छिष्ट गणपति का मंत्र 14- ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा 15- गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: 16- ‘ॐ गं नमः’ 17- ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। 18- ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

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