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डिफेंस डील में भारतीय अधिकारियों को 17.5 करोड़ का घूस देने का आरोप

यूक्रेन सरकार ने भारत से हुए एक रक्षा विमान सौदे में घूसखोरी की जांच शुरू की है. यूक्रेन के एंटी करप्शन ब्यूरो ने आरोप लगाया है कि एएन-32 विमानों के स्पेयर्स की खरीद में भारत के रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को 17.55 करोड़ रुपये का घूस दिया गया.

जांच में भारत से मांगा सहयोग

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस साल 13 फरवरी को ही यूक्रेन के नेशनल एंटी करप्शन ब्यूरो (NAB) ने यूक्रेन की राजधानी कीव में स्थ‍ित भारतीय दूतावास के माध्यम से भारत के गृह मंत्रालय से ‘कानूनी सहयोग’ देने का अनुरोध किया. इसमें उन अधिकारियों की पहचान बताने की मांग की गई है जो रक्षा सौदे के लिए बातचीत, उस पर दस्तखत करने और उसे लागू करने में शामिल रहे.

गौरतलब है कि यूक्रेन की सरकारी कंपनी स्पेट्सटेक्नो एक्सपोर्ट ने भारत के रक्षा मंत्रालय के साथ 26 नवंबर, 2014 को एक समझौता किया था, जिसके तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को स्पेयर्स की आपूर्ति की जानी थी. इसके बाद स्पेट्सटेक्नो एक्सपोर्ट ने एक गुमनाम-सी कंपनी ग्लोबल मार्केटिंग एसपी लिमिटेड के साथ इस सौदे को लागू करने के लिए समझौता किया. इसकी वजह से ही यूक्रेन की एनएबी को इस सौदे पर संदेह हुआ. यूक्रेन के एनएबी को संदेह है कि भारतीय अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी कि 13 अगस्त, 2015 को ग्लोबल मार्केटिंग के साथ दूसरे समझौते पर दस्तखत क्यों किए गए.

एनएबी के जांच प्रमुख ने लिखा है, ‘यूक्रेन का आरोप है कि भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को 17.5 करोड़ रुपये का घूस दिया और इसके लिए भारत से मदद मांगी गई, लेकिन समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया गया. स्पेट्सटेक्नो एक्सपोर्ट ने 26 लाख डॉलर (करीब 17.5 करोड़ रुपये) का बजट फंड यूएई के नूर बैंक में खोले गए ग्लोबल मार्केटिंग के खाते में ट्रांसफर कर दिया.’

यूक्रेन का आरोप है कि रक्षा सौदा हासिल करने में मदद के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को 17.5 करोड़ रुपये का घूस दिया गया. एनएबी ने इस सौदे में ग्लोबल मार्केटिंग की भूमिका के बारे में जानकारी मांगी है. एनएबी ने दुबई के नूर इस्लामिक बैंक से भी लेनदेन की जानकारी मांगी है. गौरतलब है कि सोवियत संघ में बने एएन-32 विमान भारतीय वायु सेना के मुख्य मालवाहक विमान हैं.

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