Sorry, you have been blocked

You are unable to access godeehe.lol

Why have I been blocked?

This website is using a security service to protect itself from online attacks. The action you just performed triggered the security solution. There are several actions that could trigger this block including submitting a certain word or phrase, a SQL command or malformed data.

What can I do to resolve this?

You can email the site owner to let them know you were blocked. Please include what you were doing when this page came up and the Cloudflare Ray ID found at the bottom of this page.

LIVE TVMain Slideदेशधर्म/अध्यात्म

गुरुवार के दिन साईं बाबा की इस तरह से पूजा करने पर होंगी सभी मनोकामना पूरी

गुरुवार का दिन साईं बाबा को समर्पित होता है और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए लोग इस दिन व्रत रखते हैं. कहते हैं कि शिरडी के साईं बाबा की जो भी मन से पूजा करता है या फिर उन्हें केवल याद करता है, वह उनकी झोली खुशियों से भर देते हैं.

साईं बाबा की हर कोई पूजा कर सकता है, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से क्यों न हो, वह हर किसी की मनोकामना पूरी करते हैं. साईं बाबा की विशेष कृपा पाने के लिए उनकी पूजा जरूर करें. साथ ही साईं बाबा की कही हुई बातों को भी हमेशा याद रखें. आइए आपको बताते हैं कैसे करें साईं बाबा की पूजा और जानें उनके अनमोल विचारों के बारे में.

साईं बाबा का हमेशा एक ही मूल मंत्र रहा है और वह है- सबका मालिक एक. साईं बाबा का व्रत बहुत ही आसान है. इसके लिए गुरुवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान से निवृत्त होकर सबसे पहले साईं बाबा का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.

इसके बाद उनकी मूर्ति या तस्वीर पर गंगाजल के छीटें देकर उन्हें पीला कपड़ा धारण कराएं. फिर पुष्प, रोली और अक्षत के छीटें दें. धूप, घी से उनकी आरती उतारें. इसके बाद पीले फूल उनको अर्पित करें और अक्षत व पीले फूल हाथ में रखकर उनकी कथा सुनें.

आप बेसन के लड्डू या फिर अन्य पीली मिठाई का भोग लगा सकते हैं. इसके बाद अपनी मनोकामना बाबा से कहें और प्रसाद वितरण कर दें. अगर संभव हो सके तो उस दिन जरूरतमंद को दान जरूर करें.

-समय से पहले आरंभ करो. धीरे चलो. सुरक्षित पहुंचो.

-मेरी दृष्टि हमेशा उन पर रहती है, जो मुझे प्रेम करते हैं.

-अपने गुरु में पूर्ण रूप से विश्वास करो, यही साधना है.

-हमारा कर्तव्य क्या है? ठीक से व्यवहार करना, ये काफी है.

-अगर मेरा भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथ बढ़ाकर उसे सहारा देता हूं.

-कर्तव्य ही भगवान है तथा कर्म ही पूजा है. तिनके-सा कर्म भी भगवान के चरणों में डाला फूल है.

-विचार के रूप में प्रेम सत्य है. कर्म के रूप में प्रेम उचित आचरण है.

Related Articles

Back to top button