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क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बनाने जा रहे है नया गठजोड़ जाने ?

केंद्र सरकार के इनकार के बाद जातीय जनगणना पर अड़े बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तल्खी बढ़ गई है। जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अलग हो सकते हैं। जातीय जनगणना को लेकर नीतीश के बयान से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि बिहार अपने बूते कर्नाटक की तर्ज पर जाति आधारित जनगणना करा सकती है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ-साफ कह दिया है कि पूरे देश में एक जाति की कई उपजातियां होती है। यदि हाउसहोल्ड सर्वे में आप किसी की जाति पूछेंगे तो पड़ोसी यह बता सकता है

कि उसके बगल में रहने वाले पड़ोसी किस जाति से तालुकात रखते हैं। हालांकि नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना पर केंद्र सरकार से पूर्ण विचार करने का आग्रह किया है। नीतीश ने कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिए।

कर्नाटक में 2015 के अप्रैल-मई में 1. 3 करोड़ घरों में सर्वे हुआ था। इस सर्वे का नाम सोशल एंड एजुकेशनल सर्वे दिया गया था। इसमें 1. 6 लाख कर्मियों को लगाया गया था ।

जिस पर सरकार ने 169 करोड़ रुपये खर्च किए थे। उसके बाद भी अभी रिपोर्ट नहीं आ सकी है। बिहार के साथ-साथ देश के दूसरे क्षेत्रीय दल भी जातीय जनगणना कराने की पुरजोर मांग कर रहे हैं।

जाति आधारित जनगणना को लेकर बिहार में जदयू, राजद, कांग्रेस, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा व विकासशील इंसान पार्टी का स्वर एक होने की वजह से बिहार का राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है।

देश स्तर पर जाति आधारित जनगणना के बहाने एक नया गठजोड़ बनने के संकेत मिल रहे हैं। दरअसल नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार से उठी यह मांग देशव्यापी हो गई है।

नीतीश कुमार ने दिल्ली में यह साफ कर दिया कि जातीय जनगणना को लेकर हम आपस में बात करेंगे और आगे क्या करना है यह तय करेंगे। नीतीश कुमार के बयान से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में बिहार में बड़ा राजनीतिक परिवर्तन हो सकता है।

जातीय जनगणना को लेकर नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के पहले ही यह साफ कर दिया था कि जरूरत पड़ने पर वह खुद जातीय जनगणना करा सकते हैं।

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना कराने को लेकर विभिन्न पार्टियों के 33 प्रमुख नेताओं को पत्र लिखकर गोलबंद करने की कवायद शुरू कर दी है ।

जदयू के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय  बैठक बुलाई है। इस बैठक में जो भी निर्णय होगा हम लोग उसके साथ हैं। लेकिन यह तय है कि जातीय जनगणना होगी यह सभी के लिए है। सिर्फ पिछड़े, अति पिछड़े ही नहीं सभी के लिए जातीय जनगणना जरूरी है।

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