मध्य प्रदेश: ‘सुपर 100 स्टूडेंट’ बनने के लिए देनी होगी एक और परीक्षा
सरकार की सुपर 100 योजना का फायदा उठाने के लिए अब विद्यार्थियों को माध्यमिक शिक्षा मंडल (बोर्ड) की एक और परीक्षा से गुजरना होगा। सिर्फ दसवीं बोर्ड के टॉपर होने से ही विद्यार्थी सुपर 100 में प्रवेश नहीं ले सकेंगे। दसवीं में 75 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल करने वाले सभी विद्यार्थी प्रदेश स्तरीय परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। इसमें सर्वाधिक अंक पाने वाले विद्यार्थी इंदौर व भोपाल के श्रेष्ठ सरकारी स्कूल में मुफ्त एडमिशन ले सकेंगे। इन विद्यार्थियों को दो साल तक प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं की मुफ्त कोचिंग करवाई जाएगी।
सुपर 100 योजना में अचानक हुए बदलाव से दसवीं के टॉपर विद्यार्थियों के इरादों पर पानी फिर गया है। योजना के तहत इंदौर के मल्हाराश्रम स्कूल और भोपाल के सुभाष हायर सेकंडरी स्कूल में सौ-सौ विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। विद्यार्थी स्कूल के हॉस्टल में ही रहकर पढ़ते हैं और ग्यारहवीं-बारहवीं के साथ-साथ आईआईटी, जेईई, सीए-सीपीटी, नीट आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते है। हाल ही सरकार ने सुपर 100 में प्रवेश के मापदंडों में बदलाव कर दिया है।
अब सामान्य व पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के लिए परीक्षा में शामिल होने का मापदंड दसवीं में 85 फीसदी है। अजा और अजजा वर्ग के लिए यह 75 फीसदी है। आदेश के मुताबिक सुपर 100 प्रवेश परीक्षा 28 जून को प्रदेश के सभी जिलों के उत्कृष्ट स्कूलों में होगी। इसके लिए पात्र विद्यार्थियों के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 100 अंकों के प्रश्न-पत्र में गणित, जीव विज्ञान और वाणिज्य समूह के विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग प्रवेश परीक्षा होगी। परीक्षा में शामिल होने के पहले विद्यार्थियों के माता-पिता का सहमति-पत्र भी लिया जाएगा।
यह है सुपर 100 योजना
सुपर 100 योजना प्रदेश में 2011-12 में शुरू की गई थी। इसमें एमपी बोर्ड के दसवीं में प्रत्येक जिले की मेरिट में पहले व दूसरे स्थान पर आने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। योजना में वाणिज्य, गणित व विज्ञान संकाय के प्रदेशभर के सौ-सौ विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। इन विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग, मेडिकल और सीए-सीएस की प्रतियोगी प्रवेश परीक्षा की मुफ्त कोचिंग दी जाती है। पहले व दूसरे टॉपर द्वारा प्रवेश नहीं लेने पर सूची में उनके बाद के विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। पूर्व में कई बार अधिकारी अपने मन मुताबिक विद्यार्थियों को प्रवेश करवा देते थे और पात्र विद्यार्थी का आवेदन निरस्त करवा दिया जाता था। परीक्षा होने से अब ऐसा नहीं हो सकेगा।