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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा मंडल की समीक्षा के दौरान दिए थे निर्देश अब छिड़ी सियासत

शेक्सपीयर का मशहूर कथन है कि नाम में क्या रखा है। लेकिन उत्तरप्रदेश की राजनीति में नाम पर ही सियासत हो रही है. 14 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा मंडल की समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिया था कि निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम रखा जाए.

उन्होंने इस बारे में ट्वीट भी किया. जिसमें उन्होंने कहा था कि नए उत्तर प्रदेश में गुलामी के प्रतीकों की कोई जगह नहीं है. इसलिए हमने यह फैसला किया है कि मुगल म्यूजियम का नाम अब छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम रखा जाए.

इस घोषणा के साथ ही उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में एक बार फिर से नाम की सियासत शुरू हो गई है. अब आगरा के अग्रवाल समाज की तरफ से यह मांग की गई है कि मुगल म्यूजियम का नाम शिवाजी के नाम पर नहीं महाराजा अग्रसेन के नाम पर किया जाए.

महाराजा अग्रसेन यूथ ब्रिगेड के संरक्षक विनोद बंसल ने कहा कि 5 हजार सालों से आगरा अग्रवालों की राजधानी रही है. आज से 5 हजार साल पहले जब महाराजा अग्रसेन की राजधानी अग्रोहा थी तो उन्होंने अपने छोटे भाई महासेन को आगरा प्रांत का मुखिया बनाकर भेजा था.

बंसल ने कहा कि महाराजा अग्रसेन का काल समानता, समरसता और सामाजिक न्याय का स्वर्ण काल था. ऐसे में पिछले 5 हजार सालों से आगरा अग्रवाल समाज का सबसे बड़ा केंद्र रहा है. इसलिए सरकार को अग्रवालों का सम्मान करते हुए प्रस्तावित शिवाजी म्यूजियम का नाम बदलकर महाराजा अग्रसेन के नाम पर रखना चाहिए.

बंसल ने कहा कि उन्हें अन्य किसी के नाम से आपत्ति नहीं है लेकिन आगरा में अग्रसेन महाराज को वह सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए. ऐसे में उनके नाम पर इस म्यूजियम को रखा जाए. उन्होंने कहा कि आगरा में पहले से ही शिवाजी के नाम से मूर्ति और चौक भी हैं.

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महाराजा अग्रसेन यूथ ब्रिगेड के दूसरे संरक्षक गोविंद अग्रवाल ने भी सरकार से यही मांग की. उन्होंने कहा कि म्यूजियम का नाम महाराजा अग्रसेन के नाम पर रखा जाए क्योंकि वोट हो या किसी भी आर्थिक मदद की जरूरत हो अग्रवाल समाज हमेशा से बीजेपी के साथ खड़ा रहा है.

ऐसे में अग्रवाल समाज के साथ न्याय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से आगरा में निवास करने वाले 5 लाख वैश्य परिवारों के साथ न्याय होगा. उन्होंने सरकार को चेतावनी भरे लफ्जों में यह भी कहा अगर उन्हें न्याय नहीं मिलता तो वह आगे आंदोलन की रूपरेखा बनाएंगे.

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