#बड़ा विवाद: ‘राष्ट्रीय गीत’ और ‘राष्ट्रगान’ में क्या होता है अंतर?
किसी भी देश की धरोहर में से सबसे खास होता है उस देश का ‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’. इनके जरिए ही हर देश की अपनी एक अलग ही पहचान होती है. ‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’ में बहुत अंतर होता है लेकिन ये दोनों ही गीत मन में देशभक्ति की भावना को बढ़ा देते है. कल यानि 15 अगस्त को हमारा देश 72वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं. इस खास मौके पर आज हम आपको ‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’ में अंतर बताने वाले है.
राष्ट्रगान- जन-गण-मन अधिनायक जय हे…
हमारे देश में होने वाले खास अवसर पर हमेशा राष्ट्रगान को बजाया जाता है. भारत के संविधान द्वारा राष्ट्रगान को 24 जनवरी, 1950 को इसे स्वीकार किया गया था. राष्ट्रगान के लेखक रविंद्रनाथ टैगोर है. राष्ट्रगान को मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया था लेकिन इसे बाद में इसका अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी में भी कर दिया गया था. राष्ट्रगान को गाने में पूरे 52 सेकंड लगते है. राष्ट्रगान बजते समय सबसे ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है. दरअसल राष्ट्रगान को हर कही नहीं बजाय जाना चाहिए और जब भी राष्ट्रगान बजता है उस समय अगर कोई व्यक्ति बैठा भी होता है तो उसे हमेशा खड़े होना चाहिए.
राष्ट्रीय गीत- वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
हमारे देश का राष्टीय गीत है ‘वंदे मातरम्’ जिसे बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखा गया है. साल 1882 में राष्ट्र गीत की रचना हुई थी और इसे बांग्ला और संस्कृत दो भाषाओं में लिखा गया था. राष्ट्र गीत को भी हमारे देश में राष्टीय गान की तरह ही दर्जा प्राप्त है. राष्टीय गीत की अवधि भी लगभग 52 सेकंड ही है. स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान वंदे मातरम् लोगों को प्रेणना देने का माध्यम था. राष्टीय गीत पर बहुत पहले विवाद भी हो चुका है. दरअसल पहले ‘वंदे मातरम्’ का कायम राष्ट्रगान के तौर पर किया गया था लेकिन कुछ मुस्लिमों ने इसका विरोध किया था जिसके बाद ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्र गान का दर्जा नहीं मिल पाया था. मुस्लिमों का कहना था कि ‘वंदे मातरम्’ में मां दुर्गा की वंदना की गई है और मां दुर्गा का वर्णन राष्ट्र के रूप में किया गया है लेकिन इस्लाम धर्म में किसी भी व्यक्ति या वस्तु की पूजा करना गलत माना गया है. इसलिए काफी विवादों के बाद ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त हुआ था.