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बजट में आपने अक्सर सुना होगा इन शब्दों के बारे में, जानिए इनका मतलब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। केंद्रीय बजट होने के कारण पूरे देश की निगाह इस बजट पर है। बता दें कि अब रेलवे से जुड़ी घोषणा भी इस बजट में शामिल है, पिछले कुछ वर्षों से इसके लिए अलग से कोई बजट पेश नहीं होता है। आमतौर पर बजट शब्द अपने आप में काफी भारी-भरकम शब्द है। बजट में कई ऐसे शब्द शामिल होते हैं जिनका मतलब आम आदमी आसानी से नहीं समझता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ शब्‍दों का मतलब बताएंगे और उन्हें आम बोल चाल की भाषा में समझाएंगे।

वित्तीय वर्ष: भारत में वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है। यह ऐसा समय है जिसके लिए सरकार सालाना बजट तैयार करती है। एक वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर सरकार संसद में बजट सत्र के दौरान उस वित्तीय वर्ष का लेखा-जोखा और आने वाले वित्तीय वर्ष के अनुमानित खर्चों का ब्यौरा बजट में प्रस्तुत करती है। इसी अवधि के लिए सरकार बजट पेश करती है।

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर: देश में दो तरह की टैक्स व्यवस्था है, पहला प्रत्यक्ष और दूसरा अप्रत्यक्ष। प्रत्यक्ष कर देश के नागरिक देते हैं, यह कर उनसे सीधे तौर पर वसूला जाता है। इसमें आयकर, वेल्थ टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स शामिल हैं। ये टैक्स व्यक्ति या संस्था विशेष से वसूले जाते हैं। जबकि, अप्रत्यक्ष कर किसी भी व्यक्ति को ट्रांसफर हो सकता है। अप्रत्यक्ष कर में जीएसटी शामिल है, जो किसी सर्विस प्रदाता की ओर से सेवा पर लगने वाला टैक्स या उत्पाद पर वसूला जाने वाला टैक्स है।

सार्वजनिक व्यय: बजट में सार्वजनिक और सार्वजनिक व्यय दोनों शामिल होते हैं, ये एक ही तराजू के दो पलड़े होते हैं। सरकार एक तरफ से कमाकर दूसरी ओर खर्च करती है। सार्वजनिक में राजस्व व्यय और दूसरा पूंजीगत व्यय शामिल होता है।

राजस्व व्यय क्या है: राजस्व व्यय खर्च गैर-विकासात्मक होता है। इससे न तो देश में उत्पादकता बढ़ती है और न ही कभी सरकार को कमाई होती है। राजस्व व्यय में सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी, सरकारी डिपार्टमेंट्स और सरकारी स्कीम्स पर होने वाला खर्च, ब्याज अदायगी और राज्य सरकारों को दिया जाने वाला अनुदान शामिल है।

पूंजीगत व्यय क्या है: पूंजीगत व्यय से सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि होती है। ऐसे खर्चों से सरकार को आने वाले समय में लाभ भी हो सकता है। पूंजीगत व्यय में बंदरगाह, हवाई हड्डे, उद्योग धंधों की स्थापना, अस्पताल, पुल, सड़कों आदि के निर्माण से जुड़े खर्चे आते हैं।

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