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कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस ने मुंबई में दी दस्तक

कोरोना की दूसरी लहर के कहर बरपाने के बाद कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस ने दस्तक दी है। महाराष्ट्र में 7500 लोगों की जांच में 21 मामले इस नए वैरिएंट के मिले हैं जिसमें मुंबई के 2 लोग शामिल हैं।

इन 21 मामलों में सबसे अधिक 9 मामले डेल्टा प्लस वैरिएंट के रत्नागिरी में मिले हैं। जलगांव में 7, मुंबई में 2, पालघर में एक, ठाणे में एक और सिंधुदुर्ग जिले में डेल्टा प्लस वैरिएंट के एक मामले मिले हैं

डेल्टा प्लस के ये सभी मामले उन सैंपलों की जांच में मिले हैं जो दूसरी लहर के दौरान कोरोना संक्रमित पाए गए 7500 लोगों से लिए गए थे। इन्हें 15 मई को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा गया था। देश में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले बढ़कर 20 हो गए हैं।

तेजी से फैलने वाला डेल्टा वैरिएंट अब डेल्टा प्लस में तब्दील हो गया है। इसमें 15 से 20 मामले तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब और मध्य प्रदेश से मिले हैं। यह कितनी तेजी से फैलता है, अभी इसकी जांच की जा रही है। मध्य प्रदेश के शिवपुरी में डेल्टा प्लस से संक्रमित चार लोगों की मौत हो गई है।

केरल के 2 जिलों में डेल्टा प्लस वैरिएंट मिला है। पलक्कड़, पथनमथिट्टा में तीन लोगों में इस नए वैरियंट की पुष्टि हुई है। तीन लोगों में एक 4 साल का बच्चा भी शामिल है।

देश में कोरोना वायरस की खतरनाक दूसरी लहर इसी वेरिएंट के चलते आई थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका एक और खतरनाक म्यूटेशन हुआ है, जो वैक्सीन से मिलने वाली इम्युनिटी को चकमा दे सकती है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि हर डरावना म्यूटेशन एक खतरनाक वायरस का रूप ले।

अभी तक जितने भी वेरिएंट आए हैं, डेल्टा उनमें सबसे तेजी से फैलता है। अल्फा वेरिएंट भी काफी संक्रामक है, लेकिन डेल्टा इससे 60 पर्सेंट अधिक संक्रामक है। डेल्टा से मिलते-जुलते कप्पा वैरिएंट भी वैक्सीन को चकमा देने में कामयाब दिखता है, लेकिन फिर भी यह बहुत ज्यादा नहीं फैला, जबकि डेल्टा वेरिएंट सुपर-स्प्रेडर निकला।

डेल्टा के दो म्यूटेशन- 452R और 478K इम्युनिटी को चकमा दे सकते हैं। वैक्सीन की दोनों डोज जरूर इन पर प्रभावी है, लेकिन एक डोज से मिलने वाली सुरक्षा का असर इन पर कम है।

ब्रिटने में हुई एक स्टडी के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ पहली डोज 23 पर्सेंट सुरक्षा देती है, जबकि अल्फा वेरिएंट के खिलाफ ये 51 पर्सेंट सुरक्षा देती हैं।

अल्फा के मुकाबले डेल्टा वेरिएंट कहीं अधिक गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इस वायरस के चपेट में आने के बाद अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 2.6 गुना अधिक है।

इसके अलावा अल्फा वेरिएंट से पॉजिटिव हुआ एक व्यक्ति जहां 4 से 5 लोगों को संक्रमित कर सकता हैं, वहीं डेल्टा वेरिएंट की चपेट में आया व्यक्ति 5 से 8 लोगों को संक्रमित कर सकता है।

एक स्टडी में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित व्यक्ति के लक्षणों के तेजी से गंभीर होने की बात आई है। स्टडी में कहा गया, ‘करीब 12% मरीज संक्रमित होने के 3-4 दिन के भीतर गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं, जबकि पहले ऐसा सिर्फ 2-3% लोगों के साथ होता था।’

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