LIVE TVMain Slideदेशधर्म/अध्यात्म

बुधवार के दिन भगवान गणेश को खुश करने के लिए इन आरतियों से करें से करे पूजा

हिंदू शास्त्रों में बुधवार का दिन गणपति बप्पा का बताया गया है. इसलिए बुधवार के दिन भगवान गणेश को खुश करने के लिए उनकी आराधना की जाती है. इस दिन उनकी पूजा करने से जातकों के सारे संकट दूर हो जाते हैं.

गणपति बप्पा सभी देवों में सर्वप्रथम पूजनीय हैं. हर एक पूजा से पहले उनकी पूजा होती है तभी वह पूजा मान्य होती है. भगवान श्री गणेश की पूजा के बिना हिंदू धर्म में कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती है.

प्रत्येक बुधवार को भगवान गणेश की पूजा करते समय इन तीन विशेष आरतियों को जरूर पढ़ें. इससे भगवान श्री गणेश प्रसन्न होते हैं. ये हैं गणेश जी की 3 विशेष आरतियां…

जय गणेश जय गणेश

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय…

एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ जय…

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय…
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥ जय…

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥ जय…

श्रीगणेश की आरती : सुखकर्ता दुखहर्ता
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव…

रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥ जय देव…

लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकष्टी पावावें, निर्वाणी रक्षावे,
सुरवरवंदना॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव…

श्रीगणेश की आरती- शेंदुर लाल चढ़ायो
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।

हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥1॥

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।

कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥2॥

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥

भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥3॥

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥

Related Articles

Back to top button