मध्य प्रदेश

नमकीन उद्योग को नहीं मिलेगी फूड प्रोसेसिंग की सब्सिडी

नमकीन, बेकरी, कनफेक्शनरी समेत सोया उत्पाद बनाने वाले तमाम उद्योगों को सरकार सब्सिडी के दायरे से बाहर करने जा रही है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए बनी नीति में बदलाव का मन बन चुका है। लिखित आदेश जारी होने के पहले ही अधिकारियों ने अमल शुरू करते हुए आवेदन करने वाले उद्योगों को सूचना भी दे दी है। किसानों का हित नीति परिवर्तन का कारण गिनाया जा रहा है लेकिन बजट की कमी पीछे की असल वजह है। सब्सिडी बंद हुई तो मालवा-निमाड़ क्षेत्र के औद्योगिक विकास पर बड़ा असर पड़ेगा। इंदौर का महत्वाकांक्षी नमकीन क्लस्टर भी इससे प्रभावित हो सकता है।

उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग छोटे यानी 10 करोड़ तक के उद्योगों की स्थापना पर 25 फीसदी यानी ढाई करोड़ रुपए तक की सब्सिडी दे रहा था। अक्टूबर 2016 से प्रदेश में यह नीति लागू की गई थी। तब से ही खाद्य प्रसंस्करण की श्रेणी में करीब 80 प्रकार के उद्योगों को सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा था। इस श्रेणी में फलों-सब्जियों का प्रसंस्करण कर जूस, जैम, जैली, सॉस, पावडर, पेस्ट, पल्प, चिप्स आदि बनाने वाले उद्योग तो इसमें शामिल थे ही।

मशीनों का उपयोग करने वाले बड़े नमकीन प्लांट, बेकरी, पिज्जा-पास्ता जैसे उत्पाद बनाने वाले उद्योग और सोयाबीन से तेल के अलावा अन्य सहायक उत्पाद जैसे सोया पनीर, बड़ी, ग्रेन्यूअल, दाल आदि बना रहे उद्योगों के साथ कनफेक्शनरी उद्योग को भी फूड प्रोसेसिंग की श्रेणी में शामिल किया गया था। अब सब्सिडी के दायरे में सिर्फ ऐसे ही उद्योग शामिल किए जाएंगे, जो खराब होने वाली चीजों का प्रसंस्करण करते हैं, यानी ताजे फल और सब्जियों का। इस नियम के लिहाज से क्षेत्र में नमकीन के साथ ही कनफेक्शनरी, बेकरी, पास्ता, बिस्किट, दाल और सोया प्रोडक्ट बनाने वाले उद्योग भी सब्सिडी के दायरे से बाहर होने जा रहे हैं।

इन प्रोजेक्ट पर असर

दिसंबर से विभाग ने नए प्रोजेक्ट के लिए आने वाले आवेदनों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। तब कारण बताया गया था कि योजना के लिए बजट जारी नहीं हुआ है। लिहाजा अभी नए सब्सिडी प्रकरण मंजूर नहीं किए जा रहे। कुछ दिनों में रोक हट जाएगी। इसी बीच रोक तो हटी नहीं, उलटे प्रोजेक्ट के आवेदन लगाने वाले उद्योगपतियों से कह दिया गया कि सब्सिडी के लिए वे ही आवेदन करें, जो सीधे फल व सब्जी प्रसंस्करण की ईकाई लगाना चाहते हैं। इंदौर में नमकीन उद्योग के तीन प्रोजेक्ट पाइप लाइन में हैं। उन पर सीधा असर पड़ने जा रहा है। नागपुर का हल्दीराम ग्रुप आकाश नमकीन के साथ नया प्रोजेक्ट ला रहा था।

ओम के नमकीन और साथ ही एक स्थानीय एएमडी ग्रुप के प्रोजेक्ट पर भी इसका पड़ रहा है। इसके अलावा क्षेत्र में सोयाबीन से लेसीसीन बनाने वाले एमीटी एग्रो के साथ पास्ता व अन्य सामग्री बनाने वाली पेसेफिक गोल्ड नामक कंपनी के प्रोजेक्ट पर सीधा असर पड़ता दिख रहा है। इनमें से कई प्रोजेक्ट होल्ड करने का सोच रहे हैं तो कुछ निवेश कम करने जा रहे हैं। इसके अलावा इसी साल कम से कम 10 नई कनफेक्शनरी इंडस्ट्री शहर व आसपास आने वाली थीं, उनके भी अधर में अटकने के आसार हैं। इसका सीधा असर पैदा होने वाले रोजगार पर पड़ेगा।

नमकीन क्लस्टर भी होगा प्रभावित

शहर में बनकर तैयार हुए नमकीन क्लस्टर पर भी सरकार की बदल रही उद्योग नीति का असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। वर्षों से बनकर तैयार नमकीन क्लस्टर के प्रति निवेशकों का रुख ठंडा था। बीते डेढ़ साल में प्रोजेक्ट पूरा हुआ, निवेशक आए और क्लस्टर के 32 में से ज्यादातर प्लॉट बिक भी गए। प्रोजेक्ट कंसल्टेंट के मुताबिक क्लस्टर के प्लॉट बुक होने की अहम वजह ये उद्योग नीति थी, जिसमें सब्सिडी मिल रही थी। अब बदलाव हुआ तो क्लस्टर में उद्योग शुरू होने में भी देरी होगी।

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