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देश की सुरक्षा से हुआ समझौता नौसेना का बजट घटाया नौसेना के सामने बड़ी मुश्किलें

एक तरफ नौसेना को देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा करनी पड़ रही है ऐसे में नौसेना के बजट को घटा दिया गया है, जिसके चलते नौसेना के सामने बड़ी मुश्किलें खड़ी हो गई है। जहा हिंद महासागर से लेकर अरब सागर तक जब नौसेना को हर पल हर क्षण चीन और पाकिस्तान से बेहद सतर्क रहना पड़ रहा है। नौ सेना के सामने समुद्री सीमा की रक्षा करने को लेकर इतनी चुनौतियां हैं ,ऐसे में नौसेना के रक्षा बजट को घटाना मुंह से निवाला छीनने के समान है। कुल डिफेंस बजट में नौसेना के बजट को 18 फीसदी से घटाकर 13 फीसदी कर दिया गया है।

अब इस वजह से नौसेना को अपनी आधुनिकीकरण और रक्षा तैयारी से समझौता करना पड़ रहा है। 2027 तक नौसेना को अपने बेड़े में 200 युद्धपोत शामिल करने थे, लेकिन बजट में कटौती की वजह अब केवल 175 युद्धपोत ही 2027 तक शामिल हो पाएंगे। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के मुताबिक, ” रक्षा बजट में नेवी के बजट को 18 फीसदी से घटकर 13 फीसदी कर दिया गया है। हमारी कोशिश है कि इस परिस्थिति में मैरीटाइम सिक्योरिटी से कोई समझौता ना हो। जरूरत के हिसाब में हम अपनी प्राथमिकता तय कर रहे हैं।”

साफ है कि हिन्द महासागर में पाकिस्तान व चीन अपनी मौजूदगी लगातार बढ़ा रहा है और समुद्र के रास्ते चीन लगातार भारत को घेरने की कोशिश में लगी हुई है। सितंबर महीने में भी चीन का युद्धपोत अंडमान निकोबार के पास भारत के नियंत्रण वाले समुद्री क्षेत्र में आ गया था। जिसके बाद नेवी चीफ ने कहा कि,” हमारा रुख साफ है यदि आपको हमारे एक्सक्लूसिव इकोनोमिक ज़ोन में कार्य करना है तो हमारी इजाजत लेनी होगी।”

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