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भारत में टिक टॉक जैसे ऐप का बिजनेस मॉडल तैयार करना आसान नहीं: इंफोसिस चेयरमैन नंदन नीलेकणि

इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने कहा कि भारत टिक टॉक जैसे ऐप बना सकता है, लेकिन ऐप्स के लिए बिजनेस मॉडल तैयार करना आसान नहीं है.

अब जब भारत में TikTok और 58 अन्य चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तो देश में रिप्लेसमेंट ऐप बनाने की बात हो रही है.

शनिवार को इंफोसिस के चेयरमैन ने खास बातचीत में कहा कि टिक टॉक जैसे ऐप बनाना भारत में हर लिहाज से संभव है, लेकिन ऐप्स के लिए बिजनेस मॉडल तैयार करना बड़ी चुनौती है क्योंकि भारत अभी भी एक बहुत बड़ा Digital Advertising Market नहीं है और TikTok जैसे एप्लिकेशन विज्ञापन के भरोसे हैं.

उन्होंने कहा कि TikTok जैसे अन्य दूसरे ऐप के बिजनेस मॉडल को समझना होगा. फेसबुक और Google की तरह TikTok की भी कमाई विज्ञापन से होती है.

टिक टॉक ऐप का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी बाइटडांस के संस्थापक झांग यिमिंग रिच लिस्ट के टॉप 20 अमीरों में गिने जाते हैं.

उन्होंने कहा कि भारत को चीन और अमेरिका की तरह एक बड़ा Digital Advertising Market बनना बाकी है. टीवी, प्रिंट और डिजिटल में भारत में कुल विज्ञापन खर्च लगभग 10-12 बिलियन डॉलर है और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ये लगभग 2-3 बिलियन डॉलर है.

इसलिए भारत में अनिवार्य रूप से इनमें से अधिकांश प्रोडक्ट्स से कमाई नहीं हो पाती है लेकिन ये रणनीतिक कारणों से यहां हैं क्योंकि वे एक बड़ा यूजर बेस बनाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि भारत में वट्सऐप के 400 मिलियन यूजर्स हो सकते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि बहुत से पैसे कमाते हैं.

यदि आप अपना प्रोडक्ट रखना चाहते हैं तो आपके पास अन्य देशों से क्रॉस-सब्सिडी प्राप्त करने के लिए रेवेन्यू नहीं है. मुझे लगता है कि ये मुद्दा टेक्नोलॉजी से थोड़ा बड़ा है. हम भारत में विज्ञापन को देखते हुए कैसा प्रोडक्ट बनाते हैं ये महत्वपूर्ण है.

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