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गृह मंत्रालय ने अंग तस्करी को लेकर किया बड़ा खुलासा, प्रत्यारोपण की आड़ में बढ़ा काला कारोबार

भले ही पिछले दो दशक में दिल से लेकर गुर्दे और लिवर तक के प्रत्यारोपण कर मरीजों को बचाए जाने के मामले जबरदस्त तरीके से बढ़े हों, लेकिन इसकी आड़ में मानव अंग तस्करी में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। 

ये जानकारी गृह मंत्रालय से स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई एनसीआरबी की एक रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें अकेले पिछले 4 साल में ही 60 लोगों को मानव अंग की तस्करी करते हुए गिरफ्तार किया गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इस मामले में सख्ती बरतने को कहा है। साथ ही मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 2010 (थोटा) के तहत अस्पतालों और लोगों को अंगों के गोरखधंधे के बारे में जागरूक करने को भी कहा गया है।

मंत्रालय के एक संयुक्त निदेशक ने बताया कि कुछ समय पहले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से मानव अंग तस्करी की जानकारी मांगी गई थी। वहां से मिली रिपोर्ट में वर्ष 2014 में 2, 2015 में 15, 2016 में 7, 2017 में 10 और जुलाई 2018 तक एक अवैध गुर्दा प्रत्यारोपण का मामला दर्ज किया गया, जबकि वर्ष 2015 में 14, 2016 में 32 और वर्ष 2017 में 14 लोगों को पुलिस ने अंग तस्करी में गिरफ्तार किया है। हालांकि ब्यूरो के पास भी स्पष्ट और विस्तृत जानकारी नहीं है। इसलिए मंत्रालय ने उससे विस्तार से दोबारा जानकारी मांगी है।

थोटा कानून को सख्ती से लागू कराने की तैयारी
सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों को पत्र लिखकर अपने यहां थोटा कानून के उपबंधों को सख्ती से लागू कराने का जोर दे रहा है। खासतौर पर उन राज्यों पर नजर रखी जाएगी, जहां अवैध प्रत्यारोपण की शिकायत ज्यादा है। बता दें कि थोटा कानून के तहत मानव अंगों की तस्करी में पकड़े जाने पर दस वर्ष की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

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