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हिंदुस्तान का नया ‘रक्षक’ बनेगा बोगीबील पुल, चीन सीमा तक सेना के साज़ो-सामान तेजी से पहुंचाए जा सकेंगे

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (मंगलवार को) देश के सबसे लंबे रेल सह सड़क बोगीबील पुल का शुभारंभ किया. उद्घाटन से पहले पीएम मोदी ने पुल की खूबियां जानीं. उद्घाटन के बाद पीएम मोदी इस पुल पर पहुंचे और यहां पैदल और अपनी कार के जरिये इस पुल का जायजा भी लिया. इस दौरान उन्‍होंने नीचे रेल इन पर खड़ी तिनसुकिया-नाहरलगुन इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार यात्रियों और अन्‍य लोगों का भी हाल हिलाकर अभिवादन किया. पीएम मोदी ने दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वर्षगांठ के अवसर पर इस बोगीबील पुल और उस पर रेल आवागमन की शुरूआत की गई. 

आइये जानतें हैं ‘बोगीबील पुल’ की ख़ासियतें

-देश का सबसे लंबा डबल डेकर ब्रिज

-ब्रह्मपुत्र नदी पर 4.94 Km लंबा ब्रिज

-बोगीबील ब्रिज पर डबल ट्रैक रेल रूट 

-ब्रिज के ऊपरी लेवल पर 3 लेन की सड़क 

-ब्रह्मपुत्र की लहरों से 32 मीटर ऊंचाई पर है

-नदी में 42 खंभों पर खड़ा है बोगीबिल ब्रिज

-ब्रिज के निर्माण में 4857 करोड़ रुपये का खर्च

-ब्रिज जंग रोधी तकनीक से तैयार किया गया है

-120 साल तक पूरी तरह सुरक्षित रहने का दावा

-7 तीव्रता के भूकंप के झटके बर्दाश्त कर सकता है

‘बोगीबिल’ से फ़ायदा

-असम के डिब्रूगढ़ और अरुणाचल के पासीघाट की दूरी 400 Km तक कम

-डिब्रूगढ़ से धीमाजी का सफर सिर्फ 4 घंटे में पूरा किया जा सकेगा

-ब्रिज से हर रोज़ 10 लाख रुपये से ज्यादा के ईंधन की बचत होगी

-असम-अरुणाचल के 50 लाख से ज्यादा लोगों को सफर में सुविधा

-अरुणाचल से डिब्रूगढ़ आने के लिए गुवाहाटी जाना पड़ता है, अब सीधे आ सकेंगे 

-तिनसुकिया-नाहरलगुन इंटरसिटी एक्सप्रेस सप्ताह में 5 दिन चलेगी

-तिनसुकिया-नाहरलगुन के बीच ट्रेन के सफर में 10 घंटे बचेंगे

हिंदुस्तान का नया ‘रक्षक’ भी बनेगा यह पुल

-भारत के पूर्वोत्तर सीमा तक सेना की पहुंच आसान

-चीन की सीमा तक सेना के पहुंचने में वक्त बचेगा

-चीन सीमा पर तैनात सैनिकों तक मदद जल्द पहुंचेगी

-टैंक और सेना के साज़ो-सामान तेजी से पहुंचाए जा सकेंगे

-जरूरत पड़ने पर ब्रिज पर विमानों की लैंडिंग हो सकेगी

-अरुणाचल में किबिथू, वलॉन्ग और चगलगाम चौकियों तक पहुंच आसान 

‘बोगीबिल’: 21 साल का सफ़र 

-1985 में असम समझौते में ब्रिज का वादा

-1997-98 में ब्रिज निर्माण को मंजूरी मिली

-एचडी देवगौड़ा ने 1997 में शिलान्यास किया

-2002 में वाजपेयी सरकार ने निर्माण शुरू कराया

-2007 में ब्रिज को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट का दर्जा मिला

-2009 में ब्रिज का निर्माण पूरा होना था

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